पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने जेल से एक सशक्त संदेश जारी करते हुए कहा कि वह गुलामी की जिंदगी स्वीकार करने से बेहतर समझते हैं कि वह जेल की कोठरी में रहें। उन्होंने मौजूदा सत्ता व्यवस्था को तानाशाही करार देते हुए इसके खिलाफ एकजुट जनआंदोलन शुरू करने का आह्वान किया।
इमरान खान ने अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे मुहर्रम की समाप्ति के बाद, विशेष रूप से आशूरा के बाद, देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू करें। उन्होंने इसे “लोकतंत्र और आज़ादी की लड़ाई” बताया और कहा कि अब चुप रहना देश की आत्मा को कुचलने के बराबर होगा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनकी आवाज़ को दबाया जा रहा है ताकि जनता तक सच्चाई न पहुंच सके। उन्होंने कहा कि यह हालात किसी लोकतांत्रिक देश के नहीं, बल्कि एक दबाव और नियंत्रण वाले शासन के संकेत हैं।
इमरान खान ने सेना और न्यायपालिका पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब सत्ता बल प्रयोग से चलाई जाती है तो फिर उसे जनमत की जरूरत नहीं होती। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका आज स्वतंत्र नहीं रह गई है, बल्कि केवल चुने हुए कुछ लोगों की वफादारी निभा रही है।
उन्होंने कहा कि आज देश में एक तरह से मार्शल लॉ जैसी स्थिति है, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कुचली जा रही है, पत्रकारों को प्रताड़ित किया जा रहा है और विपक्षी आवाज़ों को जेल में बंद किया जा रहा है।
गौरतलब है कि इमरान खान पिछले वर्ष से अडियाला जेल में बंद हैं और उन पर कई गंभीर आरोप चल रहे हैं, जिनमें 9 मई की हिंसा से जुड़े मामले प्रमुख हैं। इसके बावजूद उन्होंने साफ किया है कि वे झुकने के बजाय संघर्ष का रास्ता अपनाएंगे।