ईरान की राजधानी तेहरान में शनिवार को इस्राइल के हमलों में मारे गए ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों के जनाजे में लाखों लोग शामिल हुए। इस दौरान सड़कों पर भारी भीड़ उस वक्त उमड़ पड़ी जब रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख जनरल होसेन सलामी, मिसाइल प्रोग्राम के प्रमुख जनरल अमीर अली हाजीजादे और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के ताबूत राजधानी की मशहूर आजादी स्ट्रीट से गुजर रहे थे। इस दौरान भीड़ ने कई नारे भी लगाए।
13 जून को शुरू हुए इस 12-दिवसीय युद्ध में इस्राइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के उद्देश्य से हमला किया था। उसी दिन जनरल सलामी और हाजीजादे की मौत हो गई थी। ईरान के सरकारी मीडिया ने दावा किया कि 10 लाख से ज्यादा लोग जनाजे में शामिल हुए, पूरा 4.5 किलोमीटर लंबा मार्ग लोगों से भरा हुआ था।
इस जनाजे के दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए। आमतौर पर वे ऐसे आयोजनों में मृतकों के ताबूतों पर दुआ करते हैं, जिसे बाद में टीवी पर दिखाया जाता है। हालांकि ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची और कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल इस्माइल कानी, सुरक्षा सलाहकार जनरल अली शामखानी जैसे बड़े अधिकारी मौजूद रहे। शामखानी, जो पहले हमले में घायल हुए थे, लाठी के सहारे चलते हुए नजर आए। शनिवार के जनाजे में कुल 60 लोगों को श्रद्धांजलि दी गई, जिनमें 4 महिलाएं और 4 बच्चे भी शामिल थे।
लोगों में आक्रोश और प्रतिशोध की भावना
ईरान सरकार ने इस दौरान सरकारी दफ्तरों को बंद कर दिया ताकि कर्मचारी जनाजे में शामिल हो सकें। भीड़ में मौजूद कई लोग गुस्से में थे। इस दौरान अहमद मूसा ने कहा, ‘यह कोई युद्धविराम नहीं है, बस एक विराम है। हम इसका जरूर जवाब देंगे।’ तेहरान के बेहश्त-ए-जहरा कब्रिस्तान में ईरानी सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी को उनके भाई के बगल में दफनाया गया, जो 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध में मारे गए थे। नामी एविन जेल के अभियोजक अली घनातकार की भी सोमवार को एक इस्राइली हमले में मौत हो गई। वे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नर्गेस मोहम्मदी जैसे असंतुष्टों के खिलाफ मुकदमे चलाने के लिए बदनाम थे। उन्हें कोम शहर के एक पवित्र स्थल पर दफनाया जाएगा।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव
ईरान हमेशा कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, जबकि इस्राइल इसे एक अस्तित्वगत खतरा मानता है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरान को अब अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण के लिए तैयार होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह फिर से परमाणु हथियार विकसित न करे। हालांकि ईरानी संसद ने फिलहाल अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी आईएईए से सहयोग को निलंबित कर दिया है। ईरान के विदेश मंत्री अराघची ने शनिवार को सोशल मीडिया पर कहा कि अगर अमेरिका सम्मानजनक लहजा अपनाए तो ईरान बातचीत के लिए तैयार हो सकता है। उन्होंने ट्रंप की उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने ईरान को बुरी तरह हराया गया बताया था।
ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड सेना 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद बनी थी। यह देश की नियमित सेना के समानांतर काम करती है और ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को नियंत्रित करती है। गार्ड्स ने गाजा युद्ध के दौरान दो बार इस्राइल पर मिसाइल हमले भी किए थे।
ईरान-इस्राइल युद्ध में बड़ा नुकसान
इस 12-दिवसीय युद्ध में इस्राइल ने दावा किया कि उसने 30 ईरानी कमांडर और 11 परमाणु वैज्ञानिक मारे, आठ परमाणु स्थलों और 720 से अधिक सैन्य ठिकानों पर हमला किया। 1000 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिनमें 417 आम नागरिक थे (मानवाधिकार समूह HRA के अनुसार)। वहीं ईरान ने इस्राइल पर 550 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइल दागे, जिनमें से अधिकांश को इंटरसेप्ट कर लिया गया, लेकिन कुछ हमलों में 28 लोग मारे गए।