-इस्राइल संघर्ष में ईरान ने जारी किया 935 मौतों का आधिकारिक आंकड़ा, अमेरिका आधारित संगठन ने बताया 1,190 लोगों की जान गई
ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे हालिया सैन्य संघर्ष ने वैश्विक चिंता को और बढ़ा दिया है। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी IRNA ने सोमवार को जानकारी दी कि इस 12 दिवसीय संघर्ष में अब तक 935 ईरानी नागरिकों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा पहले की तुलना में काफी अधिक है, क्योंकि पिछले सप्ताह तक यही एजेंसी 627 मौतों की पुष्टि कर रही थी।
IRNA की रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि मरने वाले 935 लोगों में कितने आम नागरिक थे और कितने सैन्यकर्मी। लेकिन एजेंसी ने बताया कि मरने वालों में 38 बच्चे और 132 महिलाएं शामिल हैं। इन आंकड़ों से यह साफ है कि इस संघर्ष में आम नागरिकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि, जैसे-जैसे हालात बदलते जा रहे हैं, यह संख्या और भी बढ़ सकती है।
दूसरी ओर, अमेरिका स्थित एक स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन ने इससे भी ज्यादा भयावह तस्वीर पेश की है। संगठन के अनुसार, उनके मेडिकल नेटवर्क और स्थानीय स्वयंसेवकों से जुटाए गए डेटा के अनुसार इस संघर्ष में अब तक कुल 1,190 लोगों की जान गई है। इन मृतकों में 436 आम नागरिक, 435 ईरानी सैन्यकर्मी शामिल हैं, जबकि 319 मृतकों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। यह संगठन पूर्व में भी ईरानी सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों की तुलना में कहीं ज्यादा मृत्यु का दावा करता रहा है।
इस पूरे टकराव की शुरुआत 13 जून 2025 को हुई थी, जब इस्राइल ने ईरान पर अचानक कई सैन्य हमले किए। इन हमलों में ईरान के रणनीतिक परमाणु ठिकानों, मिसाइल डिफेंस सिस्टम, शीर्ष सैन्य अधिकारियों और कुछ जाने-माने परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया गया था। इसके जवाब में ईरान ने भी सख्त रुख अपनाते हुए इस्राइल पर करीब 550 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इनमें से अधिकांश मिसाइलों को इस्राइल की आयरन डोम और अन्य रक्षा प्रणालियों द्वारा हवा में ही नष्ट कर दिया गया, लेकिन कुछ मिसाइलें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल रहीं।
इन मिसाइल हमलों से इस्राइल के कई शहरों में जान-माल का नुकसान हुआ, जिसमें अब तक 28 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, ईरान के कई सैन्य ठिकानों पर हुए इस्राइली हमलों के बाद, तेहरान और अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर विस्फोट हुए, जिससे नागरिकों में दहशत का माहौल पैदा हो गया। कई लोगों को घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा।
इस संघर्ष के दौरान अमेरिका की भूमिका भी अहम रही। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की थी कि अमेरिका की मध्यस्थता से ईरान और इस्राइल के बीच एक ‘स्टैगर्ड सीजफायर’ यानी चरणबद्ध युद्धविराम पर सहमति बनी है, जो 4:00 बजे सुबह से प्रभावी होना था। लेकिन ईरान ने शुरू में इस सीजफायर की पुष्टि नहीं की और कहा कि कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है। हालांकि बाद में ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अऱाघची ने संकेत दिया कि युद्धविराम लागू किया जा चुका है। अभी तक इस्राइल की ओर से सीजफायर को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
इस दौरान ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने भी अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी है। गार्ड्स कमांडर मेजर जनरल मोहम्मद पाकपुर ने एक बयान में कहा कि यदि अमेरिका ने फिर से कोई हमला किया, तो उसे और भी भयावह और पछतावे वाले जवाब का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका का राष्ट्रपति मूर्खता और घमंड में जो कर रहा है, उसके गंभीर परिणाम होंगे।
ईरान ने इस्राइल के प्रमुख व्यावसायिक शहर तेल अवीव के पास स्थित रामात गान को खाली करने की चेतावनी भी दी थी। ईरानी सेना ने वहां हमले की चेतावनी दी, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी फैल गई।
इस पूरे टकराव ने पश्चिम एशिया को एक बार फिर से युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है। जहां एक तरफ अमेरिका युद्ध को टालने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर ईरान और इस्राइल की सेनाएं अब भी हाई अलर्ट पर हैं। जानकारों का मानना है कि यह संघर्ष फिलहाल थमता दिख रहा है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभाव पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर पड़ सकते हैं।
इस संघर्ष में आम नागरिकों की जानें गईं, घर उजड़े और पूरे इलाकों में भय का माहौल बना हुआ है। ऐसे में दुनिया भर की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह युद्धविराम स्थायी शांति की ओर पहला कदम बनेगा या फिर सिर्फ एक अस्थायी विराम।