अहमदाबाद में हाल ही में हुए भीषण एअर Aur India: न्यूयॉर्क जा रही एअर इंडिया की उड़ान में बम की धमकी, वापस मुंबई लौटा विमान इंडिया विमान हादसे के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें एअर इंडिया के सभी बोइंग विमानों की उड़ानों पर अस्थायी रूप से रोक लगाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता अजय बंसल द्वारा दायर इस याचिका में अनुरोध किया गया है कि जब तक दो हफ्तों के भीतर इन विमानों का व्यापक सुरक्षा ऑडिट नहीं किया जाता, तब तक उनके संचालन पर रोक लगाई जाए। याचिका में केंद्र सरकार, नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA), एयर इंडिया लिमिटेड और विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) को पक्षकार बनाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि भारत में संचालित हो रहे सभी विमानों की वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से अनिवार्य जांच होनी चाहिए। जो विमान किसी भी दृष्टिकोण से पूरी तरह कार्यशील नहीं हैं या अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार आवश्यक सुविधाओं से लैस नहीं हैं, उन्हें तब तक संचालन से रोका जाए जब तक वे फिर से प्रमाणित नहीं हो जाते। याचिकाकर्ता ने इस मामले को संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन करार देते हुए हवाई यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि बताया है।
गौरतलब है कि 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर टेकऑफ के कुछ ही समय बाद क्रैश हो गई थी। इस भयावह दुर्घटना में 241 यात्रियों और क्रू मेंबर्स सहित कुल 270 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से 29 लोग उस हॉस्टल के थे जिस पर विमान गिरा था। हादसे के बाद विमान की मेंटेनेंस, सुरक्षा जांच, और संचालन मानकों पर गंभीर सवाल उठे हैं।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि DGCA को निर्देश दिया जाए कि वे एयर इंडिया और अन्य एयरलाइनों के बेड़े का बिना पूर्व सूचना के गहन ऑडिट करें और इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। साथ ही, जिन विमानों में खामियां पाई जाएं उनके खिलाफ त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई या जुर्माना लगाया जाए।
इस याचिका में याचिकाकर्ता बंसल ने अपने व्यक्तिगत अनुभव का भी उल्लेख किया है। उन्होंने बताया कि 20 मई 2025 को दिल्ली से शिकागो की एअर इंडिया फ्लाइट (AI 127) में उन्हें खामियों का सामना करना पड़ा था। उस यात्रा के दौरान बिजनेस क्लास की सीटें काम नहीं कर रही थीं, इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट सिस्टम खराब था और एयर कंडीशनिंग उड़ान शुरू होने के काफी देर बाद चालू हुआ।
याचिका में की गई मांगों और तर्कों से यह स्पष्ट होता है कि विमानन क्षेत्र में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता बनी हुई है, और इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की अपेक्षा की जा रही है।