‘ऑपरेशन सिंदूर‘ : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने करारा जवाब देते हुए नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इनमें कुछ पाक अधिकृत कश्मीर में थे, जबकि कुछ पाकिस्तान की सीमा के भीतर स्थित थे। भारत की इस कार्रवाई के बाद सात दलों का भारतीय शिष्टमंडल 33 देशों में गया और पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को संरक्षण देने के साक्ष्य प्रस्तुत किए।
इसी बीच पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अमेरिका पहुंच गए हैं। वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्हाइट हाउस में लंच करने वाले हैं। यह बैठक व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में होगी, जो भारतीय समय अनुसार रात 8-9 बजे के बीच होनी है। इस कूटनीतिक बैठक को पाकिस्तान अपनी उपलब्धि बताने की कोशिश कर रहा है।
भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को दो टूक जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पाकिस्तान के अनुरोध पर रोका गया, इसमें अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं थी। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप के निमंत्रण को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि कनाडा से लौटते वक्त उनका वाशिंगटन रुकना संभव नहीं है।
अमेरिका के इस दौरे से ठीक पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर ने वॉशिंगटन में पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय को संबोधित किया और भारत के खिलाफ तीखे आरोप लगाए। उन्होंने भारत पर क्षेत्रीय वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश और सीमाओं के उल्लंघन का आरोप लगाया, वहीं जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता से इनकार कर दिया।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख को हाल ही में ‘फील्ड मार्शल’ के पद पर पदोन्नत किया गया है, जो 1959 के बाद पहली बार हुआ है। इसे भारत से पराजय के बाद पाकिस्तानी सेना की छवि सुधारने का प्रयास माना जा रहा है। लेकिन यह रणनीति खुद पाकिस्तान में ही सवालों के घेरे में है।
वॉशिंगटन में मुनीर के खिलाफ दर्जनों पाकिस्तानी-अमेरिकियों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने जनरल मुनीर को ‘कातिल’ और ‘भगोड़ा’ बताया। प्रदर्शनकारियों ने मानवाधिकारों के उल्लंघन, लोकतंत्र के दमन और मीडिया पर हमलों का विरोध करते हुए नारे लगाए। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने भी इस विरोध को समर्थन दिया और सोशल मीडिया पर मुनीर की निंदा करते हुए वीडियो साझा किए।
पाकिस्तान की सेना पर बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप और चुनावों में भूमिका को लेकर भी प्रदर्शनकारियों ने विरोध जताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र चाहिए, न कि सैन्य शासन। यह विरोध इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान के भीतर और बाहर, सेना के दखल के खिलाफ जनता की नाराजगी बढ़ती जा रही है।