कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताओं के मामले में आरोप तय करने की तारीख को टालने की मांग की थी।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला पिछले साल तब चर्चा में आया था, जब मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में एक छात्रा से दुष्कर्म की घटना हुई और उसकी हत्या कर दी गई। इस जघन्य अपराध के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया था और कई संगठनों ने कठोर कार्रवाई की मांग की थी। इस घटना के साथ ही मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े कई मामले भी सामने आए थे, जिसके बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने जांच शुरू की थी।
संदीप घोष की याचिका पर कोर्ट का फैसला
संदीप घोष ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर सीबीआई की विशेष अदालत को आरोप तय करने की तारीख टालने के निर्देश देने की मांग की थी। लेकिन न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने इस याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि विशेष अदालत के आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अशोक कुमार चक्रवर्ती ने घोष की याचिका का विरोध किया और दलील दी कि यह याचिका उच्च न्यायालय में दायर करने योग्य नहीं है।
सीबीआई की कार्रवाई और आरोपियों की स्थिति
- मामले के कुल पांच आरोपियों में से तीन ने निचली अदालत में रिहाई की याचिका दायर की है, लेकिन संदीप घोष ने ऐसा कोई आवेदन नहीं किया।
- घोष के वकील ने तर्क दिया कि निचली अदालत के आदेश ने उनके मुवक्किल के अधिकारों को प्रभावित किया है।
- 28 जनवरी 2025 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए निर्देश दिया था कि आरोप तय करने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए।
- सीबीआई ने सितंबर 2024 में संदीप घोष और चार अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
निष्कर्ष
कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद संदीप घोष को विशेष अदालत में आरोपों का सामना करना होगा। हाईकोर्ट का यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने और दोषियों को जल्द सजा दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई विशेष अदालत में होगी, जहां आरोप तय करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।