कर्नाटक के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक करोड़ों रुपये के वाल्मीकि निगम घोटाले के मास्टरमाइंड हैं। ये प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से दावा किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि उसने इस मामले में कुछ समय पहले बेंगलुरु में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत के समक्ष अभियोजन शिकायत या आरोप पत्र दायर किया है। अदालत ने इस आरोप पत्र पर संज्ञान लिया है।
24 अन्य लोगों की मदद से घोटाले को दिया गया अंजाम
प्रवर्तन निदेशालय ने एक बयान में कहा, विधायक और अनुसूचित जनजाति मामलों के पूर्व मंत्री बी नागेंद्र को घोटाले के पीछे मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड के रूप में नामित किया गया है, कथित तौर पर सत्यनारायण वर्मा, एताकारी सत्यनारायण, जे.जी. पद्मनाभ, नागेश्वर राव, नेक्केंटी नागराज और विजय कुमार गौड़ा जैसे प्रमुख सहयोगियों समेत 24 अन्य लोगों की मदद से इसे अंजाम दिया। इस मामले में नागेंद्र को ईडी ने गिरफ्तार किया था।
एजेंसी ने दावा किया कि उसकी जांच में पाया गया कि बी. नागेंद्र के प्रभाव में, निगम (कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम) के खाते को बिना किसी उचित प्राधिकरण के एमजी रोड शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां गंगा कल्याण योजना के तहत राज्य के खजाने से 43.33 करोड़ रुपये समेत 187 करोड़ रुपये उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और सरकारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए जमा किए गए।
ईडी ने लगाए ये सभी आरोप
ईडी ने आरोप लगाया, इन निधियों को बाद में कई फर्जी खातों के माध्यम से निकाला गया और नकदी और बुलियन में परिवर्तित किया गया। डायवर्ट किए गए धनों में से 20.19 करोड़ रुपये का इस्तेमाल बेल्लारी निर्वाचन क्षेत्र से 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के समर्थन के साथ-साथ बी. नागेंद्र के निजी खर्चों के लिए किया गया। ईडी ने कहा कि इन खर्चों के सबूत उसे उसकी तरफ से की गई तलाशी अभियान के दौरान मिले और वित्तीय विश्लेषण और बयानों से पुष्टि हुई। इन चुनाव खर्चों का विवरण विजय कुमार के मोबाइल फोन से हासिल किया गया था। इसमें दावा किया गया है कि नागेंद्र के निर्देश पर नकदी को संभालने वाले गौड़ा को भी आरोपी बनाया गया है।
निगम के लेखा अधीक्षक की मौत के बाद खुलासा
धन शोधन का मामला कर्नाटक पुलिस और सीबीआई की एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि निगम (वाल्मीकि) के खातों से करीब 89.62 करोड़ रुपये आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फर्जी खातों में भेजे गए और बाद में फर्जी संस्थाओं के जरिए धन शोधन किया गया। कथित अनियमितताएं तब सामने आईं, जब निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी. 21 मई को मृत पाए गए। उन्होंने एक सुसाइड नोट लिखा, जिसमें निगम से कई बैंक खातों में अवैध रूप से धन हस्तांतरित करने का आरोप लगाया गया। सुसाइड नोट में चंद्रशेखरन ने आरोप लगाया कि राज्य की तरफ से संचालित निगम के 187 करोड़ रुपये उसके बैंक खाते से अनधिकृत रूप से हस्तांतरित किए गए। इसके अलावा, कुछ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों और हैदराबाद में मौजूद एक सहकारी बैंक के कई खातों में अवैध रूप से 88.62 करोड़ रुपये जमा किए गए।