भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, भारतीय चंद्र मिशन चंद्रयान-3 एक दबे हुए गड्ढे में उतरा, जो लगभग 160 किमी आकार का और लगभग 4.4 किमी गहरा है, और संभवतः दक्षिणी ध्रुव एटकिन (एसपीए) बेसिन से भी पुराना है।
चंद्रयान-3, प्रज्ञान रोवर से मिलीं फोटो से मिली जानकारी
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला और इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान-3 प्रज्ञान रोवर और चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के ऑप्टिकल हाई रेजोल्यूशन कैमरे पर नेविगेशन कैमरों से मिली छवियों के विश्लेषण के आधार पर यह पता चला है।
सबसे बड़ा बेसिन है एसपीए बेसिन रिम
इसरो के एक बयान में कहा गया है कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उच्च अक्षांश वाले उच्चभूमि क्षेत्र में उतरा। लैंडिंग साइट एसपीए बेसिन रिम से लगभग 350 किमी दूर स्थित है, जो सौर मंडल में एक प्राचीन और सबसे बड़ा बेसिन है।
विशाल गड्ढे में घूम रहे थे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, यह विशाल गड्ढा चंद्रमा पर सबसे पुराने खड्डों में से एक है, और चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर उसमें उतरे और गतिविधियां कीं। इसरो के बयान में कहा गया है कि प्रज्ञान रोवर के नेविगेशन कैमरे और चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के ऑप्टिकल हाई रेजोल्यूशन कैमरे की तस्वीरों ने रैखिक, डिस्टल इजेक्टा किरणों या खांचे जैसी संरचनाओं के बारे में पहला सुराग दिया है, जो संभवतः चंद्रयान-3 लैंडिंग साइट पर जमा दूर के प्रभावों के कारण बनी हैं।
14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया था चंद्रयान-3
बता दें कि भारत ने चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया था। जो 22 दिन बाद 5 अगस्त को चंद्रमा के ऑर्बिट में पहुंचा था। जबकि चंद्रयान-3 ने लॉन्च होने के 41वें दिन 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंडिंग की। इसी के साथ भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया।