मुख्यमंत्री जी बड़ी हैरानी है और पता नहीं आपको हैरानी होगी या कि नहीं ?
उत्तर प्रदेश – चित्रकूट धाम मंडल बांदा के आला अधिकारियों को अब तक यह पता ही नहीं कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की कौन कौन सी जनहितकारी योजनाएं अपने-अपने जिलों में लागू करना है ? उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री की एक महत्वकांक्षी योजना है कि उत्तर प्रदेश के हर जिले में एक 50 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल तैयार किया जाए। इस आयुर्वेदिक अस्पताल में तमाम आधुनिकतम मशीनें होंगी योग्य चिकित्सक होंगे और महंगी से महंगी दवाएं भी निशुल्क उपलब्ध होंगी। सरकार की मंशा यह है कि आयुर्वेद पद्धति के उपचार को सरकारी माध्यम से निशुल्क रूप से जन-जन तक पहुंचाया जाए।
इसी उद्देश्य को लेकर यह योजना पूरे उत्तर प्रदेश में लागू की गई है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि चित्रकूट धाम मंडल बांदा के मंडलीय क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी को इस योजना के बारे में विधिवत ज्ञान ही नहीं है।
इतना ही नहीं मंडल के आयुक्त और चारों जिलों के जिला अधिकारियों को भी इस योजना का विवरण नहीं पता है। इससे भी बड़ी हैरानी की बात यह है की मंडल के सांसदों और विधायकों को भी इस योजना का संपूर्ण विवरण ज्ञात नहीं है। इस योजना के अंतर्गत क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी को भूमि का चयन कर के जिला प्रशासन के माध्यम से सरकार को भेजना है, लेकिन अभी तक मंडल के किसी भी जनपद में भूमि का चयन तक नहीं हुआ है, जबकि प्रदेश के अनेक जिलों में इस योजना में काम शुरू हो चुका है।
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गहराई तक जाने पर जानकारी यह मिली कि इस योजना में धन एवं बजट से खेल खिलवाड़ करने का और मनमानी करने का कोई मौका ही नहीं है, क्योंकि जिला स्तर पर भूमि का चयन करने के बाद जिले स्तर पर अधिकारियों को खर्च करने के लिए कोई धन या बजट नहीं मिल रहा है, बल्कि योजना में भवन निर्माण का काम भारत सरकार की किसी संस्था द्वारा किया जाना है और उसके बाद अस्पताल में चिकित्सकों एवं अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति तथा मशीनों दवाओं एवं फर्नीचर आदि की खरीद उत्तर प्रदेश सरकार की किसी संस्था द्वारा किया जाना है। ऐसी स्थिति में जिला जा मंडल स्तर पर धन का कोई काम नहीं है।।ऐसा प्रतीत होता है कि “जब तक धन नहीं, तब तक काम का मन नहीं”।
🥗🏀 इसी तरह इसी क्रम में बाँदा नगर में वर्तमान में किराए के भवन में चल रहे चार बेड के आयुर्वेदिक अस्पताल को उच्चीकृत करने की योजना है। यह आयुष अस्पताल के नाम से जाना जाएगा, जिसमें आयुर्वेद, होम्योपैथ यूनानी तथा सिद्धा पद्धति के चिकित्सक होंगे और यह अस्पताल अपने निजी भवन में होगा, जिसमें हर्बल पौधे लगाए जाएंगे और जड़ी बूटियों का उत्पादन भी होगा। इस आयुष अस्पताल के लिए भी जिला स्तर पर अधिकारियों को केवल भूमि का चयन करना है और शेष काम उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार को करना है, लेकिन यह योजना भी हवा हवाई झूल रही है। अब तक इस योजना के लिए भी भूमि चयन को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
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शायद इसीलिए जनता जब टीवी चैनलों पर इन योजनाओं का हो हल्ला सुनती है और धरातल पर कुछ नहीं दिखता, तो जनता “फेंकू” कहने में कोई संकोच नहीं करती।
क्या सरकारी योजनाओं और पत्रावलियों को छुपाए रखने और योजनाओं की हत्या करने वाले अधिकारियों से जवाब तलब किया जाएगा, क्या उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित और दंडित किया जाएगा क्या उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी और यह भी कि क्या जनता को यह भरोसा दिलाया जा सकेगा कि हम “फेंकू” नहीं हैं, बल्कि सभी योजनाएं लागू होंगी और जनता को उनका भरपूर लाभ मिलेगा। योजनाओं को ध्वस्त करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को न केवल चेतावनी दी जाएगी, बल्कि उन्हें कठोर दंड भी दिया जाएगा।
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● इस योजना का नारा है~ “आयुष आपके द्वार”। योजना के अंतर्गत गांव गांव और घर घर परीक्षण होंगे और लोगों को एक ही छत के नीचे आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी तथा सिद्धा पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा तथा योग पद्धति की जानकारी भी दी जाएगी। यह “हेल्थ वैलनेस सेंटर” के नाम से जाना जाएगा। यहां पर नियुक्त होने वाले सभी चिकित्सकों को एक एक लैपटॉप भी सरकार द्वारा दिया जाएगा, ताकि गांव गांव और घर घर के एक-एक मरीज का विवरण और उसके उपचार की जानकारी सरकार के पास उपलब्ध रहे, लेकिन विडंबना यह है कि वर्षों बीत जाने के बाद भी यह महत्वकांक्षी योजनाएं केवल आकाश में विचरण कर रही हैं, धरातल पर उनका कोई अस्तित्व नहीं है और जिम्मेदार अधिकारियों को कोई दिलचस्पी भी नहीं है, क्योंकि “जब धन नहीं, तो मन नहीं”।
इससे भी अलग हटकर सबसे बड़ी जिम्मेदारी तो सत्ता पक्ष के सांसदों और विधायकों की होती है कि उन्होंने इन योजनाओं को धरातल पर लाने के लिए अपने स्तर पर क्या कदम उठाए, क्या कार्यवाही की, संबंधित अधिकारियों से कितनी बार संवाद किए ? यदि सांसद और विधायक सजग और सचेत होते, तो अब तक 50 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल और 15 बेड का आयुष अस्पताल बाँदा सहित चित्रकूट, महोबा तथा हमीरपुर में बनकर तैयार हो गया होता।
गोपाल गोयल ~ संपादक 🌻 मुक्ति चक्र
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