पूर्व पर्यावरण मंत्री और कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की कंप्यूटेशनल क्षमताओं में पिछले दशकों में वृद्धि हुई है, लेकिन इसके संगठनात्मक ढांचे में बड़े स्तर पर सुधार की जरूरत है।
आईएमडी के 150वें स्थापना दिवस पर रमेश ने कहा कि इस विभाग का एक शानदार इतिहास है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून के व्यवहार पर गहरा असर पड़ रहा है, जो देश की किस्मत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
‘बारिश की मात्रा समान’
उन्होंने आगे कहा, ‘बारिश की मात्रा की लंबी अवधि के औसत में शायद बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है, लेकिन इसकी अस्थिरता स्पष्ट रूप से बढ़ी है। चरम घटनाओं की आवृत्ति निश्चित रूप से बढ़ी है। मोटे तौर पर कहा जाए तो बारिश की मात्रा समान है, लेकिन निश्चित रूप से कम समय में।’
संगठनात्मक ढांचे में बड़े बदलाव की जरूरत
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह स्थिति विशेष रूप से कृषि योजना, भूजल और शहरी प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आईएमडी की कंप्यूटेशनल क्षमताओं में पिछले कुछ दशकों में वृद्धि हुई है, लेकिन इसे और तेजी से बढ़ाना होगा। इसके संगठनात्मक ढांचे में बड़े बदलाव की जरूरत है।
1875 में हुई भारत मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना
आईएमडी, जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत काम करता है, देश को मौसम और जलवायु से जुड़ी महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने में एक अहम भूमिका निभाता है। यह प्राकृतिक आपदाओं, कृषि, विमानन और सार्वजनिक सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना 15 जनवरी, 1875 को हुई थी। हालांकि इसके पहले भी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी मौसम विभाग की स्थापना की गई थी। कोलकाता मौसम विज्ञान विभाग 1785 में शुरू हुआ था। मद्रास (आधुनिक चेन्नई) 1796 में और बॉम्बे (आधुनिक मुंबई) में 1826 में मौसम विभाग की स्थापना हुई थी।