जीएसटी स्लैब : केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) दरों में बदलाव को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सरकार को निशाने पर लेते हुए आम जनता पर टैक्स के बढ़ते बोझ का मुद्दा उठाया है।
राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“पूंजीपतियों को छूट और आम लोगों से लूट का एक और उदाहरण देखिए। मोदी सरकार गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) से और ज्यादा वसूली की तैयारी कर रही है। शादियों का सीजन है और सरकार 1500 रुपये से ऊपर के कपड़ों पर जीएसटी 12% से बढ़ाकर 18% करने जा रही है। यह घोर अन्याय है।”
उन्होंने आगे कहा,
“अरबपतियों को टैक्स में छूट देने और उनके बड़े कर्ज माफ करने के लिए गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों की मेहनत की कमाई को लूटा जा रहा है। हमारी लड़ाई इसी अन्याय के खिलाफ है।”
हाल ही में सीबीआईसी (केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड) ने स्पष्ट किया था कि जीएसटी परिषद ने अभी तक दरों में किसी बदलाव पर चर्चा नहीं की है। परिषद को मंत्री समूह (जीओएम) से सिफारिशें भी नहीं मिली हैं।
3 दिसंबर को हुई बैठक में जीओएम ने सुझाव दिया था कि:
- 1500 रुपये तक के कपड़ों पर 5% जीएसटी।
- 1500-10,000 रुपये तक के कपड़ों पर 18% जीएसटी।
- 10,000 रुपये से ऊपर के कपड़ों पर 28% जीएसटी।
- सिगरेट, तंबाकू, कोल्ड ड्रिंक्स, और अन्य हानिकारक वस्तुओं पर 35% टैक्स लगाने का प्रस्ताव।
राहुल गांधी का कहना है कि ये बदलाव मध्यम वर्गीय और गरीब परिवारों पर सीधा असर डालेंगे, खासकर ऐसे समय में जब शादियों और त्योहारी सीजन में लोग पहले से ही वित्तीय दबाव में हैं।
सरकार ने फिलहाल इन चर्चाओं को अटकलें बताते हुए खारिज कर दिया है। हालांकि, जनता में इस मुद्दे को लेकर चिंता बनी हुई है।
राहुल गांधी के इस बयान के बाद जीएसटी दरों पर सरकार और विपक्ष के बीच बहस तेज हो गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या वाकई जीएसटी स्लैब में बदलाव किया जाएगा।
निष्कर्ष:
जीएसटी दरों में बदलाव का मुद्दा न केवल आर्थिक, बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। आम जनता पर इसके संभावित प्रभावों को लेकर चर्चा और विरोध जारी है।