30.2 C
Mumbai
Tuesday, May 13, 2025

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

बच्चों की भलाई सबसे अहम, तलाकशुदा माता-पिता के बीच कस्टडी विवाद में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में कहा कि बच्चों की कस्टडी से जुड़ी कानूनी लड़ाइयों में सबसे जरूरी बात बच्चों की भलाई होनी चाहिए। अदालत ने कहा कि किसी भी माता या पिता का प्यार और स्नेह जरूरी तो है, लेकिन सिर्फ इसी आधार पर बच्चों की कस्टडी तय नहीं की जा सकती। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले में की जिसमें उसने केरल हाई कोर्ट के 11 दिसंबर 2014 के आदेश को रद्द कर दिया। हाई कोर्ट ने पिता को हर महीने 15 दिन के लिए बच्चों की अंतरिम (अस्थायी) कस्टडी दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यवस्था को ‘व्यवहारिक रूप से असंभव’ और ‘बच्चों की भलाई के लिए नुकसानदेह’ बताया।

एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर महिला ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। उनका पति, जो एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में जनरल मैनेजर है और सिंगापुर में काम करता है, को हाई कोर्ट ने हर महीने 15 दिन की फिजिकल कस्टडी दी थी। इस जोड़े 2014 में शादी की थी, जिसके बाद साल 2016 में उनकी एक बेटी और साल 2022 में एक बेटा हुआ। वे 2017 से अलग रह रहे हैं। हालांकि 2021 में कुछ समय के लिए दोनों में सुलह हुई थी, उसी दौरान उनका दूसरा बच्चा हुआ।

पिता ने जून 2024 में तिरुवनंतपुरम की पारिवारिक अदालत में बच्चों की स्थायी कस्टडी की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने पिता को सीमित मुलाकात का अधिकार दिया, जिसमें हर महीने आमने-सामने मिलना और हर हफ्ते वीडियो कॉल की अनुमति शामिल थी।

हाई कोर्ट का आदेश और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
बाद में हाई कोर्ट ने यह व्यवस्था बदलते हुए पिता को हर महीने 15 दिन के लिए बच्चों की कस्टडी दी, लेकिन कुछ शर्तों के साथ — जैसे तिरुवनंतपुरम में फ्लैट किराए पर लेना, एक नैनी रखना और बच्चों के लिए ट्रांसपोर्ट का इंतजाम करना। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह व्यवस्था बच्चों की मानसिक और शारीरिक भलाई को ध्यान में नहीं रखती। बच्चों को एक स्थिर माहौल, पोषण और भावनात्मक सुरक्षा की जरूरत होती है। यह व्यवस्था उन जरूरतों को पूरा नहीं करती।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि पिता एक स्नेही और जिम्मेदार अभिभावक हैं और बच्चों के पालन-पोषण में उनकी भूमिका जरूरी है। इसलिए उन्हें पूरी तरह से बच्चों से दूर रखना भी उचित नहीं होगा। कोर्ट ने आदेश दिया कि अब पिता को महीने के वैकल्पिक शनिवार और रविवार को बेटी की कस्टडी दी जाएगी। इन दिनों वे बेटे से भी 4 घंटे तक मिल सकते हैं, लेकिन यह मुलाकात एक बाल मनोवैज्ञानिक की निगरानी में होगी। इसके अलावा, पिता को हर मंगलवार और गुरुवार को 15 मिनट के लिए बच्चों से वीडियो कॉल करने की अनुमति दी गई है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पारिवारिक अदालत को यह भी निर्देश दिया कि वह बच्चों की स्थायी कस्टडी से जुड़ी सुनवाई को जल्द से जल्द पूरा करे, ताकि बच्चों को एक स्थिर और सुरक्षित भविष्य मिल सके।

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here