बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक माहौल पहले से ज्यादा गरम हो चुका है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को गति दे दी है। इसी कड़ी में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने मंगलवार को राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) कराने का आदेश जारी किया है। आयोग ने साफ निर्देश दिए हैं कि इस प्रक्रिया को तय कार्यक्रम और दिशा-निर्देशों के अनुसार ही अंजाम दिया जाए।
निर्वाचन आयोग का उद्देश्य है कि आगामी चुनाव से पहले राज्य की मतदाता सूची पूरी तरह से पारदर्शी और त्रुटिरहित हो। इसके तहत सभी योग्य नागरिकों के नाम जोड़े जाएंगे और जो अपात्र हैं, उनके नाम सूची से हटाए जाएंगे। इस प्रक्रिया का मकसद मतदाता सूची को अद्यतन और भरोसेमंद बनाना है, जिससे चुनाव निष्पक्ष तरीके से कराए जा सकें।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, तेजी से बढ़ते शहरीकरण, लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण, नए युवा मतदाताओं का शामिल होना, मृत्यु की सूचना समय पर न मिलना और विदेशी नागरिकों के फर्जी तरीके से नाम दर्ज हो जाने जैसी समस्याओं के कारण यह पुनरीक्षण आवश्यक हो गया है। इस विशेष पुनरीक्षण के तहत बूथ स्तर के अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर नामों की जांच करेंगे और आवश्यक बदलाव करेंगे।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह संपूर्ण प्रक्रिया संविधान और चुनावी कानूनों के अनुरूप चलाई जाएगी ताकि केवल वही नागरिक वोटर लिस्ट में शामिल हों जो इसके लिए पात्र हैं। इससे मतदाता सूची में पारदर्शिता आएगी और चुनाव में किसी तरह की अनियमितता की संभावना घटेगी।
यह विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान लगभग दो दशक बाद फिर से बिहार में हो रहा है। पिछली बार ऐसा व्यापक स्तर पर पुनरीक्षण 2003 में किया गया था। अब 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले निर्वाचन आयोग इसे दोबारा शुरू कर रहा है ताकि राज्य में निष्पक्ष, सटीक और सभी को समान मतदान अधिकार सुनिश्चित करने वाली लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती मिल सके।