नई दिल्ली – विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राजधानी दिल्ली में यूरोपीय संघ (EU) के व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की, जिसमें भारत-यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर गहन चर्चा हुई। यह बैठक दोनों पक्षों के बीच व्यापारिक संबंधों को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने बैठक की जानकारी साझा करते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “दिल्ली में यूरोपीय संसद की अंतरराष्ट्रीय व्यापार समिति (INTA) के प्रतिनिधिमंडल से मिलकर प्रसन्नता हुई। हमने इस बात पर विचार-विमर्श किया कि भारत और यूरोपीय संघ अभिसरण को अधिकतम कैसे कर सकते हैं और सहयोग को और गहरा कर सकते हैं। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी और लोकतांत्रिक ताकतें और मजबूत होंगी।”
जयशंकर ने कहा कि भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते का शीघ्र समापन इन लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस समझौते से दोनों पक्षों के आर्थिक संबंध नई ऊंचाइयों को छूएंगे।
भारत दौरे पर आया सात सदस्यीय यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल
जानकारी के अनुसार, सात सदस्यीय यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल भारत आया है ताकि लंबे समय से लंबित इस द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके। इस समझौते को लेकर दोनों पक्ष कई दौर की वार्ता कर चुके हैं।
यूरोपीय संघ के राजदूत ने बताया — “वार्ता में हो रही है उल्लेखनीय प्रगति”
भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत हर्वे डेल्फिन ने बताया कि वार्ता “काफी आगे बढ़ चुकी है”। उन्होंने एक्स पर लिखा, “भारत और यूरोपीय संघ लगातार बातचीत कर रहे हैं और हमारा लक्ष्य है कि साल के अंत तक किसी समझौते पर पहुंचा जाए।”
14वें दौर की वार्ता का समापन
गौरतलब है कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर 10 अक्टूबर को ब्रुसेल्स में हुई बैठक के दौरान 14वें दौर की वार्ता समाप्त हुई। इस दौरान चर्चा का मुख्य फोकस आर्थिक रूप से सार्थक बाजार पहुंच पैकेज को मजबूत करने पर था।
दोनों पक्ष अब तक 11 अध्यायों पर सहमति बना चुके हैं, जिनमें सीमा शुल्क और व्यापार सुविधा, विवाद निपटान, डिजिटल व्यापार, सतत खाद्य प्रणाली, लघु एवं मध्यम आकार के उद्यम (MSME), प्रतिस्पर्धा, सब्सिडी और पूंजी संचलन जैसे विषय शामिल हैं।
भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है यूरोपीय संघ
वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत और यूरोपीय संघ के बीच द्विपक्षीय वस्तु व्यापार लगभग 135 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते के लागू होने से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक स्थिति और अधिक सशक्त होगी।

