चुराचांदपुर में जनजीवन अस्त-व्यस्त
मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में शुक्रवार को एक बार फिर से आम जनजीवन ठप हो गया। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) द्वारा एक बुजुर्ग कुकी महिला की हत्या के विरोध में अनिश्चितकालीन बंद बुलाया गया, जिससे बाजार, दुकानें और परिवहन सेवाएं पूरी तरह ठप रहीं। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा और प्रदर्शनकारियों ने कई रास्तों को अवरुद्ध कर दिया।
सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों में टकराव
बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों में महिलाएं भी शामिल थीं, जो लाठियों के साथ सड़कों पर उतरीं। वे गुरुवार शाम हुई गोलीबारी की घटना का विरोध कर रही थीं, जिसमें 60 वर्षीय महिला होइखोलहिंग हाओकिप की जान चली गई। यह मुठभेड़ लांगचिंगमानबी और हाइचांगलोक क्षेत्रों में हुई थी, जब सुरक्षा बल वहां तलाशी अभियान चला रहे थे। इस दौरान अज्ञात हथियारबंद हमलावरों ने सुरक्षा बलों पर गोली चला दी थी।
सरकारी कार्यालय और स्कूल रहे बंद
एक अधिकारी के अनुसार, बंद के कारण सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति बेहद कम रही। साथ ही सभी शिक्षण संस्थानों को भी दिनभर के लिए बंद रखा गया। बंद के आह्वान के चलते लोगों ने घरों में रहना ही बेहतर समझा।
आईटीएलएफ की केंद्र से मांग
आईटीएलएफ ने केंद्र सरकार से मांग की है कि आदिवासी समुदायों की सुरक्षा के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाए जाएं। साथ ही उन्होंने संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में ‘बफर जोन’ के उल्लंघन की स्वतंत्र जांच की मांग की है। संगठन का कहना है कि लगातार हो रहे हमलों से आदिवासी समुदाय में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।
कांगपोकपी में भी बंद का ऐलान
चुराचांदपुर के अलावा कांगपोकपी जिले में भी शुक्रवार दोपहर 1 बजे से 24 घंटे के बंद की घोषणा की गई। इस बंद को ट्राइबल यूनिटी कमेटी और अन्य नागरिक संगठनों का समर्थन प्राप्त है।
मणिपुर में जातीय हिंसा का सिलसिला जारी
गौरतलब है कि मई 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी-जो आदिवासी समुदायों के बीच जातीय हिंसा जारी है। अब तक इस हिंसा में 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। हालात को काबू में लाने के लिए केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था, जब मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था।