कोलकाता हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 1 अगस्त 2025 से पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामले बढ़े, लगा सोनारपुर में लॉकडाउन में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) को फिर से लागू करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार योजना को लागू करते समय विशेष शर्तें, नियम और प्रतिबंध तय कर सकती है, ताकि पहले जैसी गड़बड़ियों की पुनरावृत्ति न हो।
हाईकोर्ट ने यह भी ध्यान में लिया कि बीते तीन वर्षों से योजना के अंतर्गत मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ था। इसका कारण कुछ लाभार्थियों द्वारा गलत तरीके से योजना का लाभ लेना और भुगतान प्रक्रिया में अनियमितताएं थीं। कोर्ट ने कहा कि केंद्र को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे वास्तविक जरूरतमंदों तक ही लाभ पहुंचे।
चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस चैताली चटर्जी की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी जांच प्रक्रिया जारी रख सकती है, लेकिन इसके साथ ही योजना को भी निर्धारित तारीख से शुरू करना आवश्यक है। कोर्ट ने यह भी कहा कि योजना को लागू करने वाले अधिकारी बीते अनुभवों को ध्यान में रखते हुए विशेष सतर्कता बरत सकते हैं।
कोर्ट ने माना कि पहले के वर्षों में मनरेगा भुगतान में अनियमितताएं हुई थीं, जिनकी जांच केंद्र सरकार ने की और कुछ मामलों में पैसे की वसूली भी हुई है। वह राशि राज्य की नोडल एजेंसी के बैंक खाते में जमा की जा चुकी है। कोर्ट ने इन सबके बावजूद योजना को फिर से चालू करना जनहित में बताया।
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन्होंने गलत तरीके से योजना का लाभ उठाया, उन्हें बख्शा नहीं जा सकता। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि पूरे राज्य के गरीब और जरूरतमंदों को योजना से वंचित रखा जाए। अदालत ने कहा कि अब जरूरी है कि अतीत की गलतियों और भविष्य की योजनाओं के बीच स्पष्ट विभाजन किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि मनरेगा जैसी योजना को अनिश्चितकाल तक निलंबित रखना उसके मूल उद्देश्य के खिलाफ है। यह फैसला न केवल कानून की भावना के अनुरूप है, बल्कि लाखों ग्रामीण परिवारों को राहत भी देगा, जो बीते तीन वर्षों से रोजगार की इस गारंटी योजना से वंचित रहे हैं।