महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री नरहरि जिरवाल के बयान ने राज्य में नया विवाद खड़ा कर दिया है। राकांपा नेता जिरवाल ने एक कार्यक्रम के दौरान हिंगोली जिले को ‘गरीब जिला’ कहकर संबोधित किया। हालांकि उन्होंने यह टिप्पणी मजाकिया लहजे में की थी, लेकिन इसका असर गंभीर रूप से सामने आया है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने जिरवाल की इस टिप्पणी पर असहमति व्यक्त की है। पवार ने कहा कि इस तरह के बयान से जिले की छवि को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नेताओं को ऐसे मुद्दों पर बोलते समय सतर्क रहना चाहिए। पवार ने यह भी कहा कि हिंगोली जैसे जिलों के विकास पर ध्यान देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन ने भी जिरवाल के बयान की आलोचना की। महाजन ने कहा कि यह टिप्पणी न केवल अपमानजनक है, बल्कि हिंगोली के लोगों के लिए अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा,
“नेताओं को मजाक करने के बजाय उन क्षेत्रों के विकास पर काम करना चाहिए जहां जरूरत अधिक है।
हिंगोली जिले के स्थानीय नेताओं और निवासियों ने भी इस बयान पर नाखुशी जाहिर की है। कई सामाजिक संगठनों ने मंत्री से माफी मांगने की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह के बयान जिले के विकास के लिए गंभीर प्रयासों को कमजोर करते हैं।
विवाद बढ़ने के बाद नरहरि जिरवाल ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी को गलत संदर्भ में लिया गया है और वह हिंगोली के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जिरवाल के बयान के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मची हुई है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार की प्राथमिकताओं और नेताओं की गंभीरता को दर्शाता है। आने वाले दिनों में यह विवाद और अधिक तूल पकड़ सकता है।