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Tuesday, November 18, 2025

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महाराष्ट्र में निकाय चुनावों की खर्च सीमा में बड़ा बदलाव, अब मुंबई-पुणे में उम्मीदवार खर्च कर सकेंगे 15 लाख रुपये तक

महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग ने आठ साल बाद स्थानीय निकाय चुनावों के लिए उम्मीदवारों की खर्च सीमा में बड़ा संशोधन किया है। आयोग ने गुरुवार को घोषणा की कि अब मुंबई, पुणे और नागपुर जैसे ए-क्लास नगर निगमों में उम्मीदवार अधिकतम 15 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे। यह संशोधन आगामी निकाय चुनावों के मद्देनजर किया गया है।

राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, मुंबई, पुणे और नागपुर जो ए-क्लास की श्रेणी में आते हैं, वहां के उम्मीदवारों की चुनावी खर्च सीमा 15 लाख रुपये तय की गई है। वहीं, पिंपरी-चिंचवड़, नासिक और ठाणे जैसे बी-क्लास नगर निगमों के लिए यह सीमा 13 लाख रुपये निर्धारित की गई है।

सी-क्लास नगर निगमों जैसे कल्याण-डोंबिवली, नवी मुंबई, छत्रपति संभाजीनगर और वसई-विरार में उम्मीदवार अब 11 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे। इसके अलावा, शेष 19 डी-क्लास नगर निगमों के लिए नौ लाख रुपये की सीमा तय की गई है। आयोग के मुताबिक, यह संशोधन 2017 के बाद पहली बार किया गया है।

आयोग ने नगर परिषदों और पंचायतों के लिए भी नई खर्च सीमा तय की है। ए-क्लास नगर परिषद में अध्यक्ष पद के लिए 15 लाख रुपये और सदस्य के लिए पांच लाख रुपये खर्च की सीमा रखी गई है। बी-क्लास नगर परिषदों में यह सीमा क्रमशः 11.25 लाख और 3.5 लाख रुपये है, जबकि सी-क्लास नगर परिषदों में अध्यक्ष के लिए 7.5 लाख रुपये और सदस्य के लिए 2.5 लाख रुपये खर्च की अनुमति दी गई है।

निर्वाचन आयोग के मुताबिक, जिला परिषदों में 71 से 75 सीटों वाले क्षेत्रों में सदस्य पद के लिए खर्च सीमा नौ लाख रुपये रखी गई है, जबकि पंचायत समिति सदस्य के लिए छह लाख रुपये तय की गई है। जिन जिला परिषदों में 61 से 70 सीटें हैं, वहां सदस्य पद के लिए 7.5 लाख रुपये और पंचायत समिति के लिए 5.25 लाख रुपये की सीमा रहेगी।

ग्राम पंचायतों के लिए भी नई व्यवस्था लागू की गई है। जिन पंचायतों में सात से नौ सदस्य हैं, वहां सरपंच चुनाव के लिए 75 हजार रुपये और सदस्य के लिए 40 हजार रुपये खर्च की अनुमति है। वहीं, 11 से 13 सदस्यीय पंचायतों में सरपंच 1.5 लाख रुपये और सदस्य 55 हजार रुपये तक खर्च कर सकते हैं। 15 से 17 सदस्यीय पंचायतों के लिए सरपंच की सीमा 2.65 लाख रुपये और सदस्य की 75 हजार रुपये रखी गई है।

राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि यह संशोधन बढ़ती महंगाई और चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी उम्मीदवारों को नई खर्च सीमा का पालन करना अनिवार्य होगा।

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