महाराष्ट्र में टोरेस निवेश घोटाले में कार्रवाई करने में लापरवाही पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि पुलिस टोरेस निवेश घोटाले में तत्काल कार्रवाई करने में फेल रही। साथ ही पुलिस अधिकारियों ने अपने काम में लापरवाही बरती।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा कि किसी ने भी तत्परता से कार्रवाई नहीं की है। पुलिस को जो भी हो रहा है उसके प्रति सजग रहने और तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है। ताकि लोगों को अपनी मेहनत की कमाई न गंवानी पड़े। कुछ ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे भविष्य में ऐसे घोटाले न हो सकें।
दरअसल टोरेस ब्रांड नाम की आभूषण कंपनी पर पोंजी और मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) योजनाओं के माध्यम से निवेशकों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। मुंबई पुलिस ने मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। जिसमें दो विदेशी नागरिक हैं। अधिकारियों के अनुसार 3700 से अधिक निवेशकों ने उनके साथ 57 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी किये जाने की पुलिस से शिकायत की है। टोरेस आभूषण ब्रांड के स्वामित्व वाली निजी फर्म ने निवेश पर आकर्षक रिटर्न का वादा करके उन्हें धोखा दिया।
सीए अभिषेक गुप्ता ने पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दावा किया था कि उन्होंने इस घोटाले को उजागर किया है। इसलिए उनको पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए। इस पर हाईकोर्ट ने पुलिस को गुप्ता को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया था। साथ ही मामले की जा जांच का ब्योरा मांगा था।
सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने बुधवार को हाईकोर्ट में जांच रिपोर्ट पेश की। उन्होंने पीठ को बताया कि मामले में वांछित 12 आरोपियों में से आठ 30 दिसंबर 2024 से पहले देश छोड़कर चले गए। इन आठ आरोपियों में से सात यूक्रेनी नागरिक हैं जबकि एक भारतीय है। वेनेगांवकर ने कहा कि पुलिस को उनके ठिकानों और उनकी यात्रा के इतिहास के बारे में पता है। जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। नवी मुंबई पुलिस गुपचुप तरीके से अक्तूर 2024 से घोटाले की जांच कर रही है।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि अगर घोटाले की जानकारी उपलब्ध थी, तो तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की गई। खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद करने के लिए कहा।