भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक एक अक्तूबर को होने वाली है, जिसमें रेपो रेट को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया जाएगा। विशेषज्ञों और आर्थिक रिपोर्टों के बीच इस बात को लेकर मतभेद है कि आरबीआई दर में कटौती करेगा या स्थिरता बनाए रखेगा।
एक ओर, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट ने 25 बेसिस पॉइंट्स (बीपीएस) की कटौती का सुझाव दिया है, जिसका कारण खुदरा महंगाई दर का कम रहना बताया गया है। उनका मानना है कि खुदरा महंगाई दर अगले वित्त वर्ष में भी कम रहने की उम्मीद है, जिससे कटौती एक सही कदम होगी। दूसरी ओर, कई अन्य प्रमुख अर्थशास्त्री, जिनमें बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस और आईक्रेरा (ICRA) की अदिति नायर शामिल हैं, का मानना है कि वैश्विक आर्थिक तनाव और अन्य परिस्थितियों को देखते हुए एमपीसी इस बार रेपो रेट को स्थिर बनाए रखेगा।
उल्लेखनीय है कि इस साल फरवरी से अगस्त के बीच आरबीआई ने तीन बार में कुल 100 बीपीएस की कटौती कर चुका है। पिछली बैठक में, अगस्त में, आरबीआई ने अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक तनावों के प्रभाव को देखने के लिए दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। ऐसे में, एक अक्तूबर की बैठक में एमपीसी का रुख सतर्क रहने और वैश्विक तथा घरेलू आर्थिक स्थितियों के आधार पर निर्णय लेने की संभावना है।

