मामले की सुनवाई में अभियोजन की खामियां
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश की 23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर की कथित हत्या के मामले में मौत की सजा पाए आरोपी चंद्रभान सुदाम सनप को बरी कर दिया। अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों में ‘बड़ी खामियां’ पाई और कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दोषसिद्धि को बरकरार रखना असुरक्षित होगा।
न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता में फैसला
इस मामले की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ ने की, जिसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई, प्रशांत कुमार मिश्रा और केवी विश्वनाथन शामिल थे। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ने ऐसे ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किए, जो आरोपी को दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त हों।
अभियोजन की कमजोरियां
अदालत ने कहा कि अभियोजन ने घटनास्थल से संबंधित परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को ठीक से नहीं जोड़ा और आरोपी की दोषसिद्धि को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने में असफल रहा। इसके चलते आरोपी को दोषी ठहराना न्यायोचित नहीं होगा।
मृतक परिवार के लिए झटका
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पीड़िता का परिवार सदमे में है। परिवार ने इस मामले में न्याय की मांग करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष की विफलता के कारण आरोपी को बरी किया गया, जिससे उनका विश्वास न्याय प्रणाली पर कमजोर हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने वाला मामला
यह मामला देशभर में सुर्खियों में रहा था और महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए गए थे। अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि आरोपी ने पीड़िता की हत्या कर उसके शव को जलाने का प्रयास किया था।
सुप्रीम कोर्ट का संतुलित रुख
फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हत्या जैसे गंभीर मामलों में दोषसिद्धि को ठोस सबूतों और तार्किक निष्कर्षों पर आधारित होना चाहिए। न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्दोष को सजा न मिले।
भविष्य के लिए संदेश
इस फैसले ने अभियोजन पक्ष के कामकाज और जांच की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही, यह संदेश भी दिया है कि अदालतें केवल मजबूत साक्ष्यों के आधार पर ही फैसला सुनाएंगी, भले ही मामला कितना ही संवेदनशील क्यों न हो।