सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को गुजरात के एक पुलिस अधिकारी पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे एक आपराधिक मामले में सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से अग्रिम जमानत दिए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए न्यायालय की अवमानना करने का दोषी पाया गया।
वहीं न्यायमूर्ति बी आर गवई और संदीप मेहता की पीठ ने एक न्यायिक अधिकारी की तरफ से दी गई बिना शर्त माफी स्वीकार कर ली, जिसे मामले में अवमानना का भी दोषी ठहराया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक अधिकारी को पक्षपात दिखाने और पुलिस को अग्रिम जमानत प्राप्त व्यक्ति की हिरासत देने के दौरान अत्याचारी तरीके’ से काम करने के लिए फटकार लगाया है। कोर्ट ने 7 अगस्त को उसे और पुलिस अधिकारी को अवमानना का दोषी ठहराया था।
सोमवार को सजा की अवधि पर सुनवाई के दौरान, न्यायिक अधिकारी दीपाबेन संजयकुमार ठाकर और पुलिस अधिकारी आर वाई रावल अदालत में मौजूद थे। वहीं गुजरात की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से उदारता और करुणा दिखाने का अनुरोध किया और कहा कि दोनों अधिकारियों ने गलती के लिए माफी मांगी है। पुलिस अधिकारी आर वाई रावल की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने अदालत से बिना शर्त माफी मांगी है। जबकि न्यायिक अधिकारी दीपाबेन संजयकुमार के वकील ने कहा कि न्यायिक अधिकारी का न्यायाधीश के रूप में शानदार और बेदाग रिकॉर्ड है और उन्होंने भी बिना शर्त माफी मांगी है।
माफी सिर्फ कागजों पर है- सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा कि रावल पर पुलिस स्टेशन में लगे सीसीटीवी को बनावटी बनाने और उस व्यक्ति को थर्ड डिग्री देने का आरोप है। पीठ ने आगे कहा, कैसे सुविधाजनक रूप से सीसीटीवी सिर्फ उस अवधि के लिए उपलब्ध नहीं है? यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि उसने ऐसा क्यों किया। पीठ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया था, लेकिन इसके बावजूद एक व्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया। पीठ ने पुलिस अधिकारी से कहा, माफी सिर्फ कागजों पर है।
क्या है पूरा मामला?
शीर्ष अदालत ने 8 दिसंबर, 2023 को तुषारभाई रजनीकांत भाई शाह को अग्रिम जमानत दी थी, वो इस बात से हैरान थी कि उसके आदेश के बावजूद न्यायिक अधिकारी ने जांच अधिकारी की याचिका पर ध्यान दिया और पूछताछ के लिए उसे पुलिस हिरासत में भेज दिया। सूरत के वेसु पुलिस स्टेशन के पुलिस इंस्पेक्टर रावल की भूमिका पर, उसने कहा था कि उसे दी गई अंतरिम सुरक्षा के दौरान तुषारभाई रजनीकांत भाई शाह की पुलिस हिरासत के लिए उसकी याचिका इस अदालत के आदेश की सरासर अवहेलना थी और रिकॉर्ड के अनुसार अवमानना के समान थी। पीठ ने उन्हें पिछले साल 8 दिसंबर के अपने आदेश की अवमानना करने का दोषी ठहराया।