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Saturday, November 23, 2024

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केंद्र में आईपीएस का कोटा ढील देने पर भी नहीं भरा, DIG की रिक्तियां 100 के नीचे पहुंची

पिछले कई वर्षों से केंद्र में बतौर प्रतिनियुक्ति आने वाले ‘आईपीएस’ अफसरों का तय कोटा भर नहीं पा रहा है। आईपीएस डीजी, एसडीजी, एडीजी, आईजी, डीआईजी और एसपी के जितने पद स्वीकृत किए गए हैं, उसमें से लगभग पचास फीसदी पद खाली पड़े रहते थे। खासतौर पर आईपीएस डीआईजी और एसपी के पदों का तो बुरा हाल था। केंद्र सरकार ने गत वर्ष प्रतिनियुक्ति के नियम कुछ आसान बनाए थे, तो वहीं अफसरों को चेताया भी था। उसका थोड़ा-बहुत असर अब देखने को मिला है। केंद्र में आईपीएस डीआईजी के लिए जितने पद स्वीकृत हैं, उनमें से खाली पदों की संख्या पहली बार सौ के नीचे पहुंची है। तीन मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार, विभिन्न केंद्रीय सुरक्षा बलों, आयोगों और जांच एवं खुफिया एजेंसियों में डीआईजी ‘आईपीएस’ के लिए 255 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 77 पद खाली हैं। इससे पहले खाली पदों की यह संख्या 120 से 186 के बीच रही है।

गत वर्ष समाप्त कर दी गई थी पैनल प्रक्रिया

लंबे समय से विशेषकर आईपीएस डीआईजी, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आने का मन नहीं बना पा रहे थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक कमेटी ने सुझाव दिया था कि इन अधिकारियों के लिए पैनल प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाए। इसके पूरा होने में काफी समय लगता है। सरकार के इस कदम का मकसद, केंद्र में डीआईजी-रैंक के अधिकारियों की भारी कमी को दूर करना था। कैबिनेट की नियुक्ति समिति के पास यह प्रस्ताव कई बार भेजा गया था। गत वर्ष 10 फरवरी को इसे कमेटी की मंजूरी मिल गई थी। सरकार का मानना है कि डीआईजी-रैंक के अधिकारियों के लिए पैनल सिस्टम को खत्म करने से अब प्रतिनियुक्ति पर अधिक आईपीएस केंद्र में आ सकेंगे। मनोनयन प्रक्रिया पूरी होने में करीब एक साल लग जाता था। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी कहा था कि जो भी आईपीएस एसपी या डीआईजी, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं आएंगे, उन्हें बाकी सेवा के दौरान केंद्रीय नियुक्ति से प्रतिबंधित किया जा सकता है। इससे पहले केंद्र ने ‘अखिल भारतीय सेवा’ नियमों में संशोधन भी किया था। उसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार, आईएएस व आईपीएस अधिकारी को राज्य की अनुमति या बिना अनुमति के भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुला सकती है।

डीआईजी के पद पर क्यों नहीं आना चाहते आईपीएस

बीएसएफ के पूर्व एडीजी एसके सूद का कहना है कि राज्य पुलिस से डीआईजी या एसपी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आने के लिए तैयार नहीं होते। इसकी एक बड़ी वजह रही है। वह है कि उन्हें यहां पर पोस्टिंग में च्वाइस नहीं मिलती। जब मन मुताबिक पोस्टिंग नहीं मिलती तो वे क्यों आएंगे। मौजूदा समय में स्टेट पुलिस में डीआईजी का ज्यादा रोल नहीं बचा है। अब तो कई राज्यों में आईएएस के पदों पर भी आईपीएस लगाए जाने लगे हैं। सबसे खराब स्थिति सीएपीएफ में है। यहां तो डीआईजी के लगभग 70 फीसदी पद रिक्त पड़े रहते थे। मजबूरन, आईपीएस डीआईजी के खाली पदों को कैडर अफसरों से भरा जाता रहा है। सीएपीएफ में डीआईजी की सख्त पोस्टिंग होती है, इसलिए वे प्रतिनियुक्ति पर नहीं आते। जो आते भी हैं, वे विभिन्न आयोगों में या मेट्रो सिटी में जिन एजेंसियों का कार्यालय है, वहां पोस्टिंग कराने में कामयाब हो जाते हैं।

केंद्र में आईपीएस प्रतिनियुक्ति की ताजा स्थिति

तीन मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार, विभिन्न केंद्रीय सुरक्षा बलों, आयोगों और जांच एवं खुफिया एजेंसियों में डीआईजी ‘आईपीएस’ के लिए 255 पद स्वीकृत हैं। इनमें से डीआईजी के 77 पद अभी खाली हैं। आईजी ‘आईपीएस’ के लिए 138 पद स्वीकृत हैं। इनमें से अभी 19 पद खाली पड़े हैं। केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर डीजी रैंक के लिए 15 पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से अभी दो पद खाली हैं। एक पद बीएसएफ डीजी का और दूसरा एनपीए निदेशक का पद शामिल है। एसडीजी ‘आईपीएस’ के लिए 10 पद मंजूर किए गए हैं, जिनमें से अभी दो पद रिक्त हैं। एडीजी ‘आईपीएस’ के 26 पद हैं। इनमें भी तीन पद खाली हैं। एसपी ‘आईपीएस’ के लिए स्वीकृत पदों की संख्या 225 है। इन पदों में से 113 पद रिक्त हैं। आईबी में डीआईजी के लिए स्वीकृत 63 पदों में से 38 पद खाली हैं, जबकि आईपीएस एसपी के लिए मंजूर 83 पदों में से 40 पद अभी रिक्त हैं।

क्या सीआरपीएफ और बीएसएफ में भरे गए सभी पद

पहले सीआरपीएफ और बीएसएफ में सर्वाधिक आईपीएस आईजी और डीआईजी के पद खाली रहते थे, लेकिन इस सूची में वे पद काफी हद तक भरे हुए दिखाए गए हैं। यह भी नहीं बताया गया है कि ये पद आईपीएस अधिकारी के जरिए भरे गए हैं या इन्हें सीएपीएफ अफसरों की नियुक्ति से भरा गया है। इससे पहले जब यह जानकारी आती थी, तो उसमें सीआरपीएफ और बीएसएफ में कैडर अफसरों के लिए डायवर्ट पदों का ब्यौरा रहता था। मौजूदा सूची के अंतर्गत यदि बीएसएफ की बात करें, तो वहां आईपीएस डीआईजी के 26 पदों में से नौ पद खाली हैं। आईजी के 21 पदों में से छह पद रिक्त हैं। इसी तरह सीआरपीएफ में आईपीएस के 38 डीआईजी के पदों में से केवल तीन पद रिक्त हैं, जबकि आईजी के लिए स्वीकृत 23 में से महज चार पद खाली हैं।

साल 2020 में आईपीएस प्रतिनियुक्ति का कोटा

30 जुलाई 2020 की स्थिति के मुताबिक, केंद्र में बतौर प्रतिनियुक्ति डीआईजी ‘आईपीएस’ के लिए 254 पद स्वीकृत थे। इनमें से 164 पद थे। आईजी ‘आईपीएस’ के लिए स्वीकृत 135 पदों में से 20 पद खाली पड़े थे। हैं। डीजी रैंक के लिए 13 पद स्वीकृत किए गए थे, जिनमें से दो पद खाली थे। एसडीजी ‘आईपीएस’ के 10 में से 3 पद रिक्त थे। एडीजी ‘आईपीएस’ के 27 पदों में से चार पद खाली रहे। उस दौरान एसपी ‘आईपीएस’ के लिए स्वीकृत पदों की संख्या 199 थी, मगर इनमें से 97 पद रिक्त रहे। हैरानी की बात रही कि उस वर्ष बीएसएफ में आईपीएस डीआईजी के 26 पदों में से 22 पद खाली थे। सीआरपीएफ में ये पद 38 थे, जिनमें से केवल एक ही पद भरा हुआ था। सीबीआई में 35 में से 20 पद खाली थे, जबकि सीआईएसएफ में 20 में से 16 पद रिक्त थे। आईबी में आईपीएस डीआईजी के 63 में से 28 पद और आईपीएस एसपी के 83 में से 49 पद खाली रह गए थे।

2021 में आईपीएस डीआईजी के 186 पद खाली

नौ जून 2021 की स्थिति के अनुसार, केंद्र में बतौर प्रतिनियुक्ति डीआईजी ‘आईपीएस’ के लिए 251 पद स्वीकृत थे। इनमें से 186 पद खाली थे। आईजी ‘आईपीएस’ के लिए स्वीकृत 140 पदों में से 26 पद खाली पड़े थे। हैं। डीजी रैंक के लिए 13 पद स्वीकृत किए गए थे, जिनमें से चार पद खाली थे। एसपी ‘आईपीएस’ के लिए स्वीकृत पदों की संख्या 203 थी, मगर इनमें से 96 पद रिक्त रहे। उस दौरान सीआरपीएफ व बीएसएफ में आईपीएस डीआईजी के अधिकांश पद खाली रहने के कारण उन्हें सीएपीएफ कैडर अधिकारियों की ओर डायवर्ट कर दिया गया था।

गत वर्ष भी आईपीएस डीआईजी के 50 फीसदी पद रिक्त

17 फरवरी 2022 की स्थिति के मुताबिक, विभिन्न केंद्रीय सुरक्षा बलों, आयोगों और जांच एवं खुफिया एजेंसियों में डीआईजी ‘आईपीएस’ के लिए 252 पद स्वीकृत थे, जिनमें से 123 डीआईजी के पद खाली थे। डीजी रैंक के लिए 15 पद स्वीकृत थे, जिनमें से तीन पद खाली रहे। एसडीजी ‘आईपीएस’ के लिए मंजूर 10 पदों में से एक पद रिक्त था। आईजी ‘आईपीएस’ के लिए 140 पद स्वीकृत किए गए, लेकिन 29 पद खाली पड़े रहे। एसपी ‘आईपीएस’ के लिए स्वीकृत 203 पदों में से 97 पद रिक्त थे। बीएसएफ में डीआईजी ‘आईपीएस’ के लिए 26 पद स्वीकृत थे, लेकिन 24 पद खाली रहे। जब आईपीएस डीआईजी नहीं आए तो 15 पदों को कैडर अधिकारियों की ओर डायवर्ट कर दिया गया। इसके बावजूद नौ पद अभी खाली रह गए थे।

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