भारत की अर्थव्यवस्था बुलंदी पर पहुँचाने के भाजपा के दावे को शिवसेना ने आड़े हाथों लिए है, पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में इस दावे का खंडन करते हुए लिखा भारतीय जनता पार्टी ने बेरोजगारों के हाथों में घंटा दिया है.
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सामना के संपादकीय में संजय राउत ने लिखा है, ” युवाओं के हाथों में काम चाहिए लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने बेरोजगारों के हाथों में घंटा दिया है. बजाते रहो और मंदिर खोलने की मांग करते रहो. अगर घंटा बजाकर बेरोजगारी का राक्षस मर रहा है तो देश के उद्योग मंत्रालय को एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज के दरवाजे पर अब घंटा लगा देना चाहिए! ” सामना संपादकीय में दावा किया गया है कि अगस्त महीने में 16 लाख लोगों की नौकरी चली गई है. ग्रामीण भागों में बेरोजगारी ने कहर बरपाया है.
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‘सामना’ संपादकीय में बेरोजगारी बढ़ने को दो अहम कारण नोटबंदी और लॉकडाउन बताए गए हैं. “चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिखाए गए ‘अच्छे दिन’ की भयावह तस्वीर सामने आई है. वित्त मंत्री सीतारमण ने दो दिन पहले देश की ‘जीडीपी’ की गुलाबी तस्वीर पेश की थी। उस गुलाब के कांटे अब चुभ रहे हैं और पंखुड़ियां गिरने लगी हैं.
सामना के संपादकीय में आगे लिखा है, “मोदी सरकार को 7 वर्ष हुए. इस काल में देश में नया निवेश कितना हुआ, कितने विदेशी निवेश आए, उससे अर्थव्यवस्था को कितनी मजबूती मिली, कितने नए रोजगार सृजित हुए. इसकी जानकारी सरकार ने कभी भी नहीं दी. 7 वर्षों में गरीब और गरीब हुए, मध्यमवर्गीय और उच्च मध्यमवर्गीय भी गरीब हुए. रोजगार पैदा करनेवाले, नौकरी देनेवाले कई उद्यमी कंगाल हुए या देश छोड़कर चले गए.”
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सामना में सवाल किया गया है कि केंद्र सरकार यह स्पष्ट करे कि घंटा बजाकर रोजगार कैसे पैदा किए जाएंगे. संजय राउत लिखते हैं, “पिता का रोजगार जाने से हम अब परिवार पर भार बन गए हैं, इस चिंता से बड़ी उम्र की लड़कियों में आत्महत्या का मामला बढ़ने लगा है. मोदी की सरकार विश्व में एकमात्र उत्तम सरकार है, ऐसा अंधभक्तों का कहना है. अंधभक्तों का सरकार की आरती उतारना और मंदिर के नाम पर राजनीतिक घंटा बजाने में कोई हर्ज नहीं है. लेकिन लाखों लोगों ने रोजगार गंवाया है और उससे जो आर्थिक अराजकता निर्माण हुई है, उसका क्या?