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Thursday, January 16, 2025

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ED ने मीडिया से साझा की ‘गोपनीय’ जानकारी; लोकायुक्त अधिकारियों ने जताई नाराजगी, बताया अनैतिक

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से एमयूडीए साइट आवंटन घोटाले से संबंधित जानकारी मीडिया के साथ साझा करने पर लोकायुक्त अधिकारियों ने नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने इसे ‘अव्यावसायिक और अनैतिक’ बताया है। मामले में एक वरिष्ठ लोकायुक्त अधिकारी ने कहा कि जब मामले की जांच चल रही हो, तब ऐसी ‘अत्यंत गोपनीय’ जानकारी मीडिया के साथ साझा नहीं की जानी चाहिए।

प्रवर्तन निदेशालय भी इस घोटाले की जांच लोकायुक्त पुलिस के साथ कर रहा है, जो कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की शिकायत पर शुरू की गई थी। पार्वथी पर मैसूर शहर के एक प्रमुख इलाके में 14 एमयूडीए साइटों को अवैध रूप से हासिल करने का आरोप है, इसके बदले में उन्होंने केसरे गांव में 3 एकड़ 16 गूंठा भूमि का अधिग्रहण किया था। लोकायुक्त अधिकारी ने कहा, ‘हमें जो जानकारी ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 66 के तहत साझा की है, वह एक जांच एजेंसी से दूसरी एजेंसी को दी गई जानकारी है और जब मामला जांच के तहत हो, तो इसे मीडिया के साथ साझा करना अत्यंत गोपनीय होता है।’

एमयूडीए में बड़े पैमाने पर साइट्स का आवंटन- ईडी

ईडी ने मंगलवार को कहा कि उसने यह जानकारी प्राप्त की है कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) की तरफ से पार्वथी को 14 साइट्स के हस्तांतरण में कई अनियमितताएं पाई गई हैं। इसके अतिरिक्त, ईडी ने यह भी दावा किया कि एमयूडीए ने 1,095 साइट्स को अवैध रूप से बिनामी और अन्य तरीकों से आवंटित किया था।

‘मीडिया से पहले हमसे साझा करनी चाहिए थी जानकारी’

लोकायुक्त अधिकारी ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ईडी ने पहले मीडिया के साथ जानकारी साझा की, जबकि उसे पहले लोकायुक्त के साथ इसे साझा करना चाहिए था। ‘जब आप किसी अन्य जांच एजेंसी के साथ जानकारी साझा करते हैं, तो यह पूरी तरह से अव्यावसायिक और अनैतिक है कि उसे मीडिया के साथ भी साझा किया जाए।’

‘हम साक्ष्य की गुणवत्ता के लिए अलग मानक करते हैं लागू’

उन्होंने आगे कहा कि ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामले की जांच करता है, जबकि लोकायुक्त भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत साक्ष्य मानकों को लागू करता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर यह जानकारी लोकायुक्त के लिए उपयोगी होगी, तो उसे इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा, जो वे दावा करते हैं, वह हमारा दावा नहीं बन सकता, क्योंकि हम साक्ष्य की गुणवत्ता के लिए अलग मानक लागू करते हैं। हम पहले से ही मामले की जांच कर रहे हैं और किसी भी जानकारी को हम उपयोगी मानेंगे।

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