कर्नाटक के धारवाड़ में चल रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सालाना अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के आखिरी दिन देश में धर्मपरिवर्तन पूर्ण रूप से बंद करने की बात कही गयी .
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RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संघ का हमेशा से यह मत रहा है कि धर्मपरिवर्तन पूर्ण रूप से बंद होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोई स्वेच्छा से फैसला ले तो बात अलग होती है लेकिन ऐसा होता नहीं है. लिहाजा धर्मपरिवर्तन करने वाले डबल बेनिफिट कैसे ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब तक 10 से ज्यादा राज्यों की सरकारों ने एन्टी कन्वर्जन बिल लाए हैं. ये सभी सरकारें बीजेपी की नहीं रही हैं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने काफी पहले ये बिल पास किया. अरुणाचल प्रदेश की कांग्रेस ने एन्टी कन्वर्जन बिल पास किया.
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वहीँ आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने भाषण में जनसंख्या नीति लागू करने पर जोर दिया. भागवत ने इसके लिए इंसेंटिव और डिसइन्सेंटिव की पॉलिसी लागू करने पर बल दिया. जो पॉलिसी को माने उसको इसका फायदा मिले और जो नहीं माने, उसे कुछ चीजों से वंचित करने संबंधी कानून होना चाहिए. भागवत ने कहा कि सबको बराबर मौका मिले, उसके लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है क्योंकि नेचुरल रिसोर्स लिमिटेड है लिहाजा इसको ध्यान में रखकर पॉलिसी बनना आवश्यक हो गया है.
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दिवाली पर पर्यावरण बिगड़ने को लेकर RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने बैठक के दौरान कहा कि संघ पर्यावरण की रक्षा करने के लिए दृढ़संकल्प है, लेकिन सिर्फ दिवाली में पटाखों पर संपूर्ण बैन समस्या का निदान नहीं है. उन्होंने प्रश्न खड़ा किया कि दूसरों देशों में भी उत्सव के समय आतिशबाजी सामान्य बात होती है. होसबोले ने कहा कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध से लाखों लोग रोजगार विहीन होते हैं, लाखों लोगों का धन इसमें बेकार हो जाता है, उन सभी से बातचीत करनी चाहिए और आतिशबाजी पर पाबंदी के लिए व्यापक नजरिए की जरूरत है.