आंध्र प्रदेश की सीआईडी ने फाइबरनेट घोटाले में तेदेपा प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ एसीबी अदालत में नया वारंट जारी करने का अनुरोध किया है। इससे पहले आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कौशल विकास निगम घोटाला मामले में गिरफ्तार पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने संबंधी उनकी याचिका पर मंगलवार को आदेश सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने नायडू और आंध्र प्रदेश अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के वकीलों की दलीलें सुनीं।
- आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की सरकार में युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण देने के लिए योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के हैदराबाद और इसके आसपास के इलाकों में स्थित भारी उद्योगों में काम करने के लिए युवाओं को जरूरी कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाना था। सरकार ने योजना के तहत इसकी जिम्मेदारी एक कंपनी Siemens को दी थी। योजना के तहत छह क्लस्टर्स बनाए गए और इन पर कुल 3300 करोड़ रुपये खर्च होने थे। जिसमें हर क्लस्टर पर 560 करोड़ रुपये खर्च होने थे।
- तत्कालीन चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने कैबिनेट में बताया कि योजना के तहत राज्य सरकार कुल खर्च का 10 प्रतिशत यानी कि 370 करोड़ रुपये खर्च करेगी। वहीं बाकी का 90 प्रतिशत खर्च कौशल विकास प्रशिक्षण देने वाली कंपनी सीमेन्स द्वारा दिया जाएगा। आरोप है कि चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने योजना के तहत खर्च किए जाने वाले 371 करोड़ रुपये शैल कंपनियों को ट्रांसफर कर दिए। पूर्व सीएम पर ये भी आरोप है कि शैल कंपनियां बनाकर उन्हें पैसे ट्रांसफर करने से संबंधित दस्तावेज भी नष्ट कर दिए गए।
ईडी भी कर रही जांच
आंध्र प्रदेश के कौशल विकास घोटाले की जांच ईडी द्वारा भी की जा रही है। कुछ माह पहले ईडी ने इस घोटाले की आरोपी कंपनी डिजाइनटेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड की 31 करोड़ रुपये कीमत की संपत्ति भी अटैच की थी। आरोप है कि इसी कंपनी के जरिए सरकारी योजना का पैसा शैल कंपनियों को ट्रांसफर किया गया, साथ ही फर्जी इनवॉइस तैयार की गईं। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से मामले की जांच कर रही है। ईडी ने इस मामले में सीमेन्स कंपनी के पूर्व एमडी सोम्याद्री शेखर बोस, डिजाइनटेक कंपनी के एमडी विकास विनायक खानवेलकर, पीवीएसपी आईटी स्किल्स प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड और स्किलर एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ मुकुल चंद्र अग्रवाल, सीए सुरेश गोयल के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
अब फाइबरनेट परियोजना घोटाले के बारे में जानिए
हाल ही में आंध्र प्रदेश सीआईडी ने 330 करोड़ रुपये की फाइबरनेट परियोजना घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ एक नई प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोप है कि नायडू ने निविदा के नियमों का उल्लंघन कर परियोजना में एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया। यह भी दावा किया गया कि नायडू ने व्यक्तिगत रूप से फाइबरनेट परियोजना को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के बजाय ऊर्जा आई एंड आई विभाग द्वारा निष्पादित करने की सिफारिश की थी। आरोप है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद नायडू ने व्यक्तिगत रूप से वेमुरी हरिकृष्ण प्रसाद को शासी परिषद-शासी प्राधिकरण के सदस्य के रूप में नियुक्त कराया। नायडू ने बाजार सर्वेक्षण कराए बिना परियोजना के परिव्यय को मंजूरी दे दी।