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Saturday, November 23, 2024

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फैसला दशहरे पर होगा कितनी किसके गुट में है जान, जी-तोड़ कर रहे हैं उद्धव और एकनाथ शिंदे तैयारी

महाराष्ट्र में दशहरा रैली का मंच तैयार है। दो गुटों में बंट चुकी शिवसेना की यह परंपरागत रैली पहली बार दो अलग-अलग मैदानों में होने वाली है। बुधवार को एक तरफ जहां, उद्धव ठाकरे शिवाजी पार्क में अपने गुट के कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे होंगे। वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने गुट को बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स ग्राउंड पर संबोधित करेंगे। माना जा रहा है कि शिवसेना के दो गुट होने के बाद यह पहला बड़ा मुकाबला है, जहां यह तय होगा कि दोनों गुटों में से ज्यादा शक्तिशाली कौन है।

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जोरों पर दोनों पक्ष की तैयारियां
दशहरा रैली को लेकर दोनों ही पक्षों की तैयारियां जोरों पर हैं। सैकड़ों की संख्या में बसों और वाहनों के जरिए कार्यकताओं को यहां लाने का लक्ष्य दिया गया है। वहीं सोशल मीडिया पर दोनों पक्ष दूसरे को कमजोर और अपने को बेहतर बताने में जुटे हुए हैं। बता दें कि 60 साल से चली रही यह परंपरागत रैली, ठाकरे गुट के पास यह शिवसेना को पुनर्गठित करने का बड़ा मौका है। साथ ही बीएमसी चुनाव से पहले भी अपनी ताकत दिखाने का एक बड़ा जरिया है। 

कानूनी लड़ाई के बाद ठाकरे को परमिशन
गौरतलब है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के आयोजन की इजाजत दी थी। वहीं शिंदे गुट यह रैली बीकेसी ग्राउंड पर कर रहा है। इससे पहले दोनों गुट शिवाजी पार्क मैदान में ही रैली के आयोजन को लेकर आमने-सामने थे। बता दें कि एक तरफ शिंदे गुट खुद को असली शिवसेना बताता है। वहीं उद्धव ठाकरे का कहना है कि भले की शिवसेना दो गुटों में बंट गई है, लेकिन कार्यकर्ताओं की वफादारी उनके साथ है। इस बीच ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि शिवसेना के कुछ नेता और चुने हुए प्रतिनिधि रैली के दौरान एकनाथ शिंदे के साथ जुड़ सकते हैं। 

शिवसेना के प्रवक्ता ने किया यह दावा
उधर शिवसेना की शाखाओं से बड़ी संख्या में रैली में पहुंचने के लिए कहा गया है। शाखाएं मुंबई और मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में शिवसेना की स्थानीय ऑफिसें हैं। इन सभी को रैली को लिए लक्ष्य दिया गया है, जिसके तहत उन्हें बड़ी संख्या में लोगों को लेकर यहां पहुंचना है। वहीं कोंकण और मराठवाड़ा, जो कि पार्टी के मजबूत पकड़ वाले इलाके हैं, वहां से भी बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं के रैली में पहुंचने की संभावना है। वहीं बीड जिले से शिवसैनिकों का एक ग्रुप मुंबई इस रैली में शामिल होने आ रहा है। दक्षिण मुंबई से शिवसेना के लोकसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता अरविंद सावंत ने कहा कि शिवाजी पार्क में होने वाली इस रैली को ऐतिहासिक रिस्पांस मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि लोगों के मन में उपजा गुस्सा, इस दौरान स्पष्ट रूप से दिखने वाला है। सावंत के मुताबिक पूरे महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में शिवसैनिक यहां पर जुटने वाले हैं। 

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अलग-अलग क्षेत्रों से लोगों के पहुंचने का अनुमान
वहीं शिंदे गुट ने भी रैली में बड़ी संख्या में लोगों के जुटने का दावा किया है। पूर्व विधायक और शिंदे कैंप के प्रवक्ता किरण पावसकर ने कहा कि रैली की तैयारियां जोरों पर हैं। यहां पर पहले ही डेढ़ लाख कुर्सियां लगाई जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ने हमसे रिक्वेस्ट की है कि ट्रैफिक और पार्किंग की समस्या को देखते हुए लोगों की संख्या सीमित रखी जाए। पावसकर ने यह भी कहा कि शिवसेना के ज्यादातर चुने हुए प्रतिनिधि यहां पर पहुंचेंगे। ऐसे में वह अपने विधानसभा क्षेत्रों से भी लोगों को पहुंचने की गुहार लगा रहे हैं। ऐसे में यहां पर बड़ी भीड़ होने का अनुमान है। पावसकर ने यह भी दावा किया बीकेसी में शिवाजी पार्क की तुलना में ज्यादा लोगों के बैठने की जगह है। उन्होंने कहा कि शिवाजी पार्क में केवल सवा लाख तक लोग ही शामिल हो सकते हैं। 

बड़ी संख्या में बुक किए गए हैं वाहन
शिंदे कैंप उम्मीद कर रहा है कि मुंबई के साथ-साथ प्रदेश भर के उसके विधायक यहां लोगों को लेकर पहुंचे। ठाणे से भी बड़ी संख्या में शिंदे समर्थकों के आने का अनुमान है। वहीं इसके नजदीकी रायगढ़ और पालघर जिलों से भी लोग यहां पहुंच सकते हैं। शिंदे गुट राज्य की ट्रांसपोर्ट और प्राइवेट ऑपरेटर्स से 2000 से 3000 बसें किराए पर लेने की योजना बना रहा है, ताकि समर्थकों को मुंबई तक लाया जा सके। कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार जो कि औरंगाबाद के सिलौद से विधायक हैं, ने यहां से कार्यकर्ताओं को मुंबई लाने के लिए 300 बसें बुक की हैं। 

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सोशल मीडिया पर वॉर
इसके अलावा दोनों गुटों ने कार्यकर्ताओं को लाने के लिए बड़ी संख्या में अन्य वाहनों को भी बुक किया है। साथ ही सोशल मीडिया वॉर भी चल रहा है, जहां दोनों पक्ष वीडियो और पोस्टर्स जारी कर रहे हैं। सोमवार को ठाकरे गुट द्वारा जारी ऐसे ही एक वीडियो में पार्टी कार्यकर्ताओं को पीठ में छुरा घोंपने वाला बताया गया है। साथ ही इनसे भाजपा और शिंदे गुट से दूरी बनाकर रखने के लिए कहा गया है। वहीं दूसरी तरफ शिंदे गुट दावा कर रहा है कि वह ही शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे की असली वारिस है। 

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