सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका में तर्क दिया गया है कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था का लाभ अक्सर वंचित समुदायों के उन सदस्यों को मिलता है जो अपेक्षाकृत समृद्ध आर्थिक स्थिति और उच्च सामाजिक पृष्ठभूमि से आते हैं। याचिका के अनुसार, इससे आर्थिक रूप से सबसे कमजोर लोगों के लिए अवसर सीमित हो जाते हैं।
याचिका में कहा गया है कि आरक्षण नीति में आर्थिक मानदंड शामिल करना जरूरी है, ताकि राज्य की सहायता उन लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी वास्तविक आवश्यकता है। याचिकाकर्ता ने स्पष्ट किया कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य जाति-आधारित आरक्षण को समाप्त या कमजोर करना नहीं है, बल्कि इसे उसके मूल उद्देश्य के अनुरूप और प्रभावी बनाना है।
सुझाव दिया गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण में आय के आधार पर प्राथमिकता दी जाए। इससे इन समुदायों के सबसे गरीब और वंचित वर्ग के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों के अधिक द्वार खुल सकेंगे।

