उच्चतम न्यायालय ने उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है, जिनकी हिरासत में हरियाणा के फरीदाबाद जिले में एक 32 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी। यह मामला 2013 का है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने मृतक के भाई आनंद राय कौशिक की याचिका पर हरियाणा सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई के लिए सूचीबद्ध की।
आनंद कौशिक ने वकील राहुल गुप्ता के माध्यम से दायर अपनी याचिका में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पिछले साल 28 नवंबर को पारित आदेश को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने आपराधिक मामला दर्ज करने और जांच को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो या किसी अन्य जांच एजेंसी को स्थानांतरित करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उनके भाई सतेंद्र कौशिक की 25 जुलाई 2013 को फरीदाबाद के एनआईटी पुलिस थाने में हिरासत के दौरान मौत हो गई थी। आनंद कौशिक ने यह भी दावा किया है कि बिल का भुगतान न करने के आरोप में एक होटल मैनेजर की शिकायत पर उनके भाई को पुलिस ने बिना किसी प्राथमिकी के हिरासत में ले लिया था।
हालांकि, पुलिस ने दावा किया है कि सतेंद्र कौशिक ने पुलिस थाने के शौचालय की खिड़की से फंदा लगाकर आत्महत्या की। उच्च न्यायालय ने पिछले साल 28 नवंबर को कहा था कि 11 मार्च 2015 को एक समन्वय पीठ ने न्यायिक जांच रिपोर्ट, थाने की सभी संबंधित दैनिक डायरी रिपोर्टों और डॉक्टरों के एक बोर्ड द्वारा तैयार की गई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अवलोकन के बाद आदेश पारित किया था और इससे यह स्पष्ट था कि वर्तमान मामले में कोई साजिश नहीं है।
अदालत ने कहा था कि जांच शुरू करने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत नहीं है। उच्च न्यायालय के आदेश में यह भी कहा गया था कि समन्वय पीठ ने नरम रुख अपनाया और मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया क्योंकि मौत पुलिस हिरासत में हुई थी।