केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य जगहों पर नफरत फैलाने वाले भाषणों से जुड़ी 2013 की एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग वाली भगोड़े जाकिर नाइक की याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल उठाया। केंद्र ने कहा कि एक भगोड़ा व्यक्ति स्थिति का हवाला देते हुए एफआईआर साथ जोड़ने की मांग कैसे कर सकता है।
जस्टिस अभय एस ओका की पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि क्या कोई व्यक्ति जिसे भगोड़ा घोषित किया गया है, वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर कर सकता है। मेहता ने कहा कि वह जवाबी हलफनामे के साथ तैयार हैं। नाइक के वकील ने कहा कि मामला एफआईआर को एक साथ जोड़ने से संबंधित है। याचिका को वापस लेने के संबंध में उनके पास कोई निर्देश नहीं है।
पीठ ने नाइक के वकील से याचिकाकर्ता का हलफनामा दाखिल कर यह बताने के लिए कहा कि वह इसे आगे बढ़ाना चाहता है या वापस लेना चाहता है। पीठ ने कहा, सॉलिसिटर जनरल जवाबी हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई होगी। वर्ष 2013 में जाकिर नाइक पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए देश भर में कई और महाराष्ट्र में तीन मामले दर्ज किए गए थे।
विभिन्न राज्यों में दर्ज हैं 43 एफआईआर
नाइक की तरफ से पेश वकील ने कहा कि उसे मामला वापस लेने के संबंध में कोई निर्देश नहीं मिला है और याचिका में विभिन्न राज्यों में दर्ज लगभग 43 एफआईआर को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया गया है। वकील ने कहा कि उसके मुवक्किल के खिलाफ छह एफआईआर विचाराधीन हैं और वह इन्हें रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का रुख करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने नाइक के वकील से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने नाइक के वकील को हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि वह मामला जारी रखेगा या इसे वापस लेगा। इसके साथ ही अदालत ने मेहता से मामले में जवाब दाखिल करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 23 अक्तूबर को होगी। नाइक फिलहाल विदेश में है। एनआईए कथित आतंकवादी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता की भी जांच कर रहा है।