अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन व्हाइट हाउस में पहुंचने के बाद से पहली बार बुधवार को मध्यपूर्व की यात्रा करने वाले हैं।
राजनीतिक गलियारों में अमरीकी राष्ट्रपति की इस यात्रा की व्यापक आलोचना हो रही है। क्योंकि कम से कम तीन कारणों से यह यात्रा अमरीका की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी की घोषित नीतियों से विरोधाभास रखती है। बाइडन ने अपने चुनावी प्रचार में यमन युद्ध में भूमिका निभाने के लिए ख़राब हुई अमरीका की छवि में सुधार का वादा किया था। इसी के साथ उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या का आदेश देने वाले सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को सज़ा दिलाने का वादा किया था।
दूसरे उन्होंने व्हाइट में पहुंचने के बाद ईरान परमाणु समझौते में वापसी का वादा किया था, लेकिन वह वादा तो अभी तक पूरा नहीं किया, लेकिन उसके विपरीत ट्रम्प की तरह वायु रक्षा प्रणाली के बहाने हथियारों के नए समझौतों का प्रयास किया है।
तीसरे अमरीका ने फ़िलिस्तीन में दो देशों के गठन के ज़रिए इस क्षेत्र में शांति की स्थापना में समर्थन का दावा किया है, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने इससे भी पीछे हटते हुए एक नई योजना का एलान कर दिया, जिसे फ़िलिस्तीनियों ने एकजुट होकर रद्द कर दिया। बाइडन के सत्ता संभालने के बाद ऐसा अनुमान था कि अमरीका अपने पहले वाले रुख़ की ओर पलट आएगा, लेकिन बाइडन व्यवहारिक रूप से ट्रम्प के नक़्शे क़दम पर क़दम रख रहे हैं।
इन आलोचनाओं से बचने के लिए पहले बाइडन ने वाशिंगटन पोस्ट में एक लेख लिखा, लेकिन जब उसका कोई असर नहीं हुआ तो रूस को ईरानी ड्रोन बेचने की ख़बर चलवा दी, ताकि यूक्रेन युद्ध के बाद अमरीका में मॉस्को के ख़िलाफ़ जो वातावरण बना है, उसका फ़ायदा उठाकर क्षेत्र की इस यात्रा के लिए कोई बहाना तलाश कर लिया जाए। इस परिप्रेक्ष्य में अमरीकी मीडिया ने रूस को ईरानी ड्रोन बेचे जाने की ख़बरों को ख़ूब मसाला लगाकर पेश किया, ताकि युक्रेन युद्ध में ईरान को रूस का असली साथी क़रार दिया जा सके। हालांकि इस युद्ध को भड़काने में वाशिंगटन ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उसके बाद अमरीका और उसके सहयोगियों ने यूक्रेन को हथियारों का भंडार बना दिया है। इन वास्तविकताओं को नज़ंर अंदाज़ करते हुए मीडिया सिर्फ़ ईरानी ड्रोन पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है, जिसकी अभी तक दोनों देशों में से किसी ने पुष्टि नहीं की है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अमरीका और यूरोपीय देशों के हथियारों ने यूक्रेन को दुनिया में हथियारों का भंडार बना दिया है, जबकि पश्चिमी, इस्राईली और सऊदी मीडिया बाइडन की इस यात्रा को क्षेत्र में शांति की स्थापना में अहम क़दम बताने में लगा हुआ है। लेकिन इसके विपरीत, ज़ायोनी शासन समेत इस क्षेत्र को अशांति की आग में झोंकने वाले इस यात्रा को अपने हितों को साधने में इस्तेमाल करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र में अशांति की नई लहर शुरू होने की आशंका बढ़ गई है।