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भाजपा बिहार में अपना रही UP वाली रणनीति, अमित शाह, नीतीश कुमार की पलटी के बाद पहली बार पहुंचे रहे

नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद भाजपा बिहार में अपनी रणनीति को नए सिरे से तैयार कर रही है। एक तरफ भाजपा नीतीश के झटके से सत्ता से बाहर हो गई है तो वहीं वह इसे अपने दम पर विस्तार करने के मौके के तौर पर भी देख रही है। यही वजह है पार्टी के बड़े नेताओं ने बिहार पर फोकस बढ़ा दिया है। अमित शाह बिहार का दौरा करने वाले हैं और उससे पहले नेताओं ने कमर कस ली है। खासतौर पर सीमांचल इलाके पर भाजपा फोकस कर रही है, जहां ध्रुवीकरण की संभावनाएं अधिक हैं। भाजपा ने यूपी और झारखंड की तरह ही बिहार में भी अपने दम पर आगे बढ़ने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। 

अमित शाह 23 सितंबर को बिहार के दौरे पर आने वाले हैं। उससे पहले ‘Modi@20’ पुस्तक की लॉन्चिंग के मौके पर 18 सितंबर को स्मृति इरानी भी पटना आ रही हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा, ‘स्मृति इरानी का दौरा अलग है, जबकि अमित शाह भाजपा के जनसंपर्क अभियान के तहत आ रहे हैं। सीमांचल में प्रोग्राम पहले से तय किए गए थे। अब उसके आगे की योजनाओं पर भी काम किया जाएगा। यदि कुछ लोग हर चीज को जाति और धर्म के ऐंगल से ही देखना चाहते हैं तो फिर हम क्या कर सकते हैं। हमारा काम नहीं रुकेगा।’ 

किशनगंज और पूर्णिया में रैलियों को संबोधित करेंगे अमित शाह

जायसवाल ने कहा कि 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। उसके बाद से 15 दिनों तक भाजपा सेवा सप्ताह का आयोजन करेगी। इस दौरान कार्यकर्ता सभी लोगों से मुलाकात करेंगे। जनसंपर्क किया जाएगा। बता दें कि बीते साल खुद सीएम नीतीश कुमार ने पीएम मोदी के जन्मदिन के मौके पर एक ही दिन में 30 लाख कोरोना टीके लगाने का आह्वान किया था। एक वैक्सीनेशन कैंप में नीतीश कुमार खुद ही गए थे। अब अमित शाह ने मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में दौरे करने की तैयारी की है। इस दौरान अमित शाह भाजपा कार्यकर्ताओं की एक मीटिंग में हिस्सा लेंगे। इसके अलावा पूर्णिया और किशनगंज में रैलियों को भी संबोधित करेंगे।

सीमांचल से ही क्यों अभियान शुरू करने वाली है भाजपा

अमित शाह के दौरे को बिहार में भाजपा के मिशन 2024 की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा का दावा है कि वह 2024 में बिहार की 35 लोकसभा सीटों को जीतने पर फोकस कर रही है। भाजपा, जेडीयू के एनडीए गठबंधन ने 2019 के आम चुनाव में 39 सीटें जीती थीं। लेकिन इस बार समीकरण पूरी तरह से अलग हैं। भाजपा अलग है, जबकि जेडीयू ने आरजेडी, कांग्रेस, हम, सीपीआई समेत कुल 6 दलों के साथ गठबंधन कर लिया है। बिहार के समाज शास्त्री डीएम दिवाकर ने कहा, ‘तथ्य यह है कि नीतीश कुमार के अलगाव के बाद भाजपा ने आगे की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। उसकी कोशिश होगी कि सीमांचल के इलाके में वह पोलराइजेशन कर सके, जहां मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में हैं।’ 

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