भारत ने आतंकवाद, ऑनलाइन कट्टरपंथ और साइबर सक्षम वित्तीय धोखाधड़ी जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने और उन्हें रोकने के लिए इंटरपोल चैनलों के जरिए ठोस कार्रवाई की मांग की है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
वियना में इंटरपोल की 91वीं महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक प्रवीण सूद के किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अपराध, अपराधियों और अपराध से अर्जित धन के लिए किसी भी सुरक्षित पनाहगाह को खत्म करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। पांच सदस्यीय टीम में राष्ट्रीय जांच एंजेसी (एनआईए) के महानिदेशक दिनकर गुप्ता भी शामिल थे। 28 नवंबर को शुरू हुई चार दिवसीय सभा ने 1923 में गठित अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग संगठन का शताब्दी वर्ष भी मनाया।
सीबीआई के प्रवक्ता ने यहां कहा कि अपराध और अपराधियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर इंटरपोल चैनलों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ संबंधों का भारत ने भी लाभ उठाया है। इस साल 24 अपराधियों और भगोड़ों को वापस लाया गया है, जो एक साल में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा,’इसके अलावा भारत ने विभिन्न देशों में 184 से अधिक अपराधियों का पता लगाया है और उनकी वापसी के लिए औपचारिक कार्यवाही शुरू की है।’
प्रवक्ता ने कहा कि कई देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चर्चा के दौरान भारत ने संगठित अपराध, आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, धन शोधन, ऑनलाइन कट्टरपंथ, साइबर सक्षम वित्तीय अपराधों से निपटने और रियल-टाइम के आधार पर इन अपराधों को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई के उद्देश्य से इंटरपोल के जरिए समन्वय बढ़ाने की मांग की।
उन्होंने कहा, ‘भारत ने अपराध, अपराधियों और अपराधों से अर्जित आय के लिए किसी भी सुरक्षित पनाहगाह को खत्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। अंतरराष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र में काम करने वाले आपराधिक संगठनों पर अंकुश लगाने के लिए समन्वित रणनीतियों की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया गया।’ भारतीय दल ने ऑस्ट्रिया, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, ब्रिटेन, नेपाल, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, जापान, स्विट्जरलैंड, बांग्लादेश, सिंगापुर और जाम्बिया के प्रतिनिधिमंडलों के साथ पुलिस सहयोग के मामलों पर भी विस्तृत चर्चा की।