भारत-म्यांमार सीमा पर तनाव जारी है। इस बीच, मणिपुर के कामजोंग जिले में दोनों देशों के बीच खुली अंतरराष्ट्रीय सीमा से म्यांमार के 375 और नागरिकों ने मणिपुर में प्रवेश कर लिया है। म्यांमार के ये नागरिक पड़ोसी देश में सेना और लोकतंत्र समर्थक विद्रोही बलों के बीच लड़ाई से भागकर मणिपुर में आए हैं। इस तरह से मणिपुर में शरण लेने वाले म्यांमार के शरणार्थियों की संख्या करीब 1400 पहुंच गई है। पिछले कुछ दिनों में जातीय विद्रोहियों को बाहर निकालने के लिए म्यांमार की सेना द्वारा सीमा पार के कई गांवों पर बमबारी की गई है, जिसके बाद शरणार्थियों की संख्या कई गुना बढ़ गई है।
उल्लेखनीय है कि मणिपुर म्यांमार के साथ 398 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। इसमें से कामजोंग जिला के कासोम ब्लॉक के तहत नामली क्षेत्र में सीमा स्तंभ संख्या 90 से साहमफुंग ब्लॉक के तहत काचौफुंग गांव बीपी नंबर 112 तक 104 किमी लंबी सीमा साझा करता है।
म्यांमार के 30 और सैनिकों को वापस भेजा
इसी बीच, भारतीय अधिकारियों ने म्यांमार सेना के तीस और सैनिकों को मणिपुर के मोरेह सीमावर्ती शहर के रास्ते पड़ोसी देश वापस भेज दिया है। म्यांमार सेना के 30 जवानों को बुधवार को उनके देश वापस भेज दिया गया। म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक विद्रोही बलों द्वारा उनके शिविर पर कब्जा करने के बाद म्यांमार सेना के ये 30 सैनिक अपने ठिकानों से भाग कर मिजोरम राज्य में प्रवेश कर गए थे। यहां से इन्हें मणिपुर के मोरेह लाया गया, जहां से उनको वापस अपने वतन भेज दिया गया। चिन राज्य के मोटुपी में उनके शिविर सशस्त्र लोकतंत्र समर्थक बलों के कब्जे में चले जाने के बाद वे मिजोरम के सियाहा जिले के तुइपांग गांव में शरण ले ली थी।