मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों को लेकर तैयार की गई जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट जारी करने पर केरल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने फिल्म निर्माता साजिमोन पारायिल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। न्यायमूर्ति पीएम मनोज ने सूचना आयोग के पांच जुलाई के आदेश को रोकते हुए रिपोर्ट को 31 जुलाई तक सार्वजनिक न करने के लिए कहा है। साथ ही केरल सरकार, राज्य सूचना आयोग और कुछ पत्रकारों को नोटिस जारी कर उनका रुख पूछा है।
केरल राज्य सूचना आयोग ने न्यायमूर्ति के हेमा समिति की रिपोर्ट जारी करने का आदेश दिया था। इसमें मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों का अध्ययन किया गया था। राज्य सूचना आयुक्त ए अब्दुल हकीम ने राज्य लोक सूचना अधिकारी (एसपीआईओ) को यह सुनिश्चित करते हुए सूचना का उचित प्रसार करने का निर्देश दिया कि यह व्यक्तियों की गोपनीयता से समझौता नहीं करता है।
आदेश में कहा गया था कि जस्टिस के हेमा समिति की रिपोर्ट की सत्यापित प्रतियां प्रदान करते समय सूचना अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि सामग्री उक्त रिपोर्ट में संदर्भित व्यक्तियों की पहचान को प्रभावित न करे या उनकी गोपनीयता से समझौता न करे। साथ ही 26 जुलाई तक आदेश की अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए थे। इसे लेकर एक फिल्म निर्माता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रिपोर्ट जारी करने पर रोक लगा दी।
रिपोर्ट में हो सकती है संवेदनशील जानकारी
मलयालम सिनेमा में यौन उत्पीड़न और लैंगिक असमानता के मुद्दों का अध्ययन करने के लिए अभिनेता दिलीप से जुड़े साल 2017 के अभिनेत्री उत्पीड़न मामले के बाद समिति का गठन किया गया था। भले ही रिपोर्ट 2019 में दर्ज की गई थी, लेकिन सरकार ने अभी तक विवरण जारी नहीं किया है क्योंकि इसमें संवेदनशील जानकारी होने का संदेह था।
जमानत पर बाहर आ चुके हैं दिलीप
तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में काम कर चुकी अभिनेत्री-पीड़ित का 17 फरवरी, 2017 की रात कथित तौर पर कुछ आरोपियों ने अपहरण कर लिया था और आरोपियों ने जबरन उनकी कार में घुसकर दो घंटे तक उनके साथ छेड़छाड़ की थी। बाद में आरोपी भाग गए थे। कुछ आरोपियों ने अभिनेत्री को ब्लैकमेल करने के लिए इस पूरे कृत्य को फिल्माया था। मामले में 10 आरोपी हैं। मामले में आठवें आरोपी दिलीप को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।