अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में तालेबान और आतंकवादी गुट दाइश सदस्यों के बीच झड़प हो गयी जिसमें दाइश के चार सदस्य मारे गये।
तालेबान गुट के प्रवक्ता ने इस खबर की जानकारी देते हुए कहा है कि यह झड़प काबुल के “कारतेह सखी” क्षेत्र में बुधवार की दोपहर को हुई जिसमें दाइश के चार सदस्य मारे गये जबकि एक अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया। तालेबान गुट के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने इसी प्रकार कहा कि दाइश के ये लोग इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के अज़ादारों पर हमला करने का इरादा रखते थे जिसे विफल बना दिया गया।
काबुल के पुलिस प्रवक्ता ने भी समाचार एजेन्सी आवा को बताया है कि आठ घंटों तक चलने वाली यह लड़ाई दाइश के अंतिम आतंकवादी के मारे जाने के बाद समाप्त हुई। पुलिस प्रवक्ता खालिद ज़दरान ने कहा कि इस लड़ाई में तालेबान के चार पुलिस कर्मी घायल हो गये जबकि एक महिला पुलिस कर्मी सहित दो पुलिस कर्मी मारे गये।
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की सुरक्षा व्यवस्था इस देश के दूसरे क्षेत्रों व प्रांतों से अधिक है उसके वावजूद काबुल में तालेबान से दाइश के आतंकवादी तत्वों की लड़ाई इस बात की सूचक है कि दाइश के सदस्य काबुल सहित अफगानिस्तान के संवेदनशील क्षेत्रों में भी दाखिल हो चुके हैं।
पिछले वर्ष अगस्त महीने से अफगानिस्तान की सत्ता की बागडोर तालेबान ने संभाल ली है और प्रतीत यह रहा था कि तालेबान आतंकवादी गुटों से कड़ाई से पेश आयेगा परंतु गत एक वर्ष के दौरान अफगानिस्तान में तालेबान के क्रिया कलाप इस बात के सूचक हैं कि अफगानिस्तान में आतंकवादी गुटों के साथ कड़ा व्यवहार नहीं किया गया है।
शोचनीय बिन्दु यह है कि अगर अफगानिस्तान में तालेबान, आतंकवादी गुटों के साथ कड़ाई से पेश नहीं आया गया तो इस देश में आतंकवादी गुटों के साहस बढ़ेंगे और वे किसी प्रकार की चिंता व संकोच के बिना आतंकवादी हमले करेंगे।
यहां इस बात का उल्लेख ज़रूरी है कि जब तालेबान ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ ग़नी की सरकार गिरा दी थी और वे अफगानिस्तान छोड़कर विदेश भाग गये तब तालेबान ने वादा किया था कि वह देश के समस्त अल्प संख्यकों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनायेगा और पूरी ताकत से उन गुटों का मुकाबला करेगा जो लोगों की जान और सुरक्षा के लिए खतरा बने हैं। गत एक वर्ष तक अफगानिस्तान में तालेबान के क्रियाकलापों और वादों पर ध्यान दिया जाये तो यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जायेगी कि तालेबान दाइश सहित किसी भी आतंकवादी गुट से कड़ाई से पेश नहीं आया और कड़ाई से पेश न आने का नतीजा यह निकला कि शीया- सुन्नी धार्मिक स्थलों में भी बम विस्फोट हुए और इन विस्फोटों में जान माल की भारी क्षति हुई।
यहां इस बात का उल्लेख ज़रूरी है कि शिया मुसलमानों के धार्मिक स्थल में विस्फोट के बाद सुन्नी मुसलमानों की मस्जिद में बम धमाका हुआ और इन धमाकों से आम जनमत में संदेश यह गया कि दोनों ने एक दूसरे के धार्मिक स्थलों में विस्फोट किया है जबकि दोनों में से किसी ने भी दूसरे के धार्मिक स्थलों में कार्य नहीं किया था। जानकार हल्कों का मानना है कि यह उन लोगों का कृत्य है जो शिया-सुन्नी दोनों के दुश्मन हैं और दोनों को एक दूसरे से लड़ाना चाहते हैं।
बहरहाल तालेबान से यही अपेक्षा की जाती है कि वह आतंकवादी गुटों से कड़ाई से निपटेगा और अफगानिस्तान में शांति व सुरक्षा स्थापित करने में किसी प्रकार के संकोच से काम नहीं लेगा और शांति व सुरक्षा की छाया में ही यह देश विभिन्न चुनौतियों का मुकाबला करके विकास व उन्नति के पथ को तय करेगा।