मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई की। याचिका में धर्म, जाति और भाषा के नाम पर वोट मांगने की प्रथा को रोकने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और मानवाधिकार कार्यकर्ता के एक स्वतंत्र आयोग को नियुक्त करने की मांग की गई थी। न्यायालय ने चुनाव आयोग को याचिका पर नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आर महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की खंडपीठ ने मामल की सुनवाई की।
जानकारी के अनुसार, अधिवक्ता राजेश अनवर महिमदोस ने एक जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के प्रवर्तन की निगरानी के लिए स्वतंत्र आयोग नियुक्त करने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि धर्म, जाति और भाषा के नाम पर वोट मांगना गलत है। याचिका में महिमदोस ने मांग की कि चुनाव आयोग को निर्देश दिए जाएं कि संविधान की प्रस्तावना और मूल संरचना, सर्वोच्च न्यायालय के 2017 के फैसले और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (3) के तहत भ्रष्ट आचरण के बारे में लोगों और जनप्रतिनिधियों को जानकारी देने के लिए एक प्रणाली भी तैयार की जाए। बता दें, पीठ ने मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद के लिए स्थगित कर दी है।
राजनीतिक दल करते हैं ध्रुवीकरण की कोशिश
याचिका में उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल और जनप्रतिनिधि अक्सर राजनीतिक लाभ के लिए मतदाताओं को ध्रुवीकृत करते हैं। इसके लिए वे धर्म, भाषा और जाति का इस्तेमाल करते हैं। ध्रवीकरण के लिए जरूरी नहीं कि चुनाव ही हो बिना चुनाव के भी राजनीतिक ध्रुवीकरण की कोशिश करते रहते हैं। चुनाव आयोग के प्रयासों के बावजूद, आजादी के 75 साल बाद भी धर्म, जाति और भाषा के नाम पर वोट मांगने की प्रथा जारी है, जो बिल्कुल भ्रष्ट है। जनीतिक दल फूट डालो और राज करो की नीति अपनाते हैं। यह संविधान के खिलाफ है।