26 C
Mumbai
Friday, November 22, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

अनुच्छेद 20, 22 को अधिकारातीत घोषित करने के लिए दायर याचिका पर सवाल; दो वकीलों को कोर्ट ने पेश होने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि अनुच्छेद 20 और 22 को संविधान का उल्लंघन करने वाला घोषित करने के लिए याचिका कैसे दायर की जा सकती है। इस बारे में बताने के लिए कोर्ट ने एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) सहित दो वकीलों को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने को कहा है।

संविधान का अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण से संबंधित है। वहीं, अनुच्छेद 22 कुछ मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से संरक्षण से जुड़ा है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 20 और 22 को अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) सहित कुछ अन्य अनुच्छेदों का उल्लंघन करने वाला घोषित करने की मांग की गई है। 

सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के नियम क्या हैं?
संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाए गए नियमों के अनुसार शीर्ष अदालत में किसी पक्ष की तरफ से ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ का दर्जा रखने वाले वकील ही दलील रख सकते हैं।

तीन जजों की पीठ में क्या दलीलें दी गईं
याचिका न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई। पीठ में जस्टिस सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि हमसे मुख्य वकील की अनुपलब्धता की वजह से सुनवाई टालने का अनुरोध किया गया है।

31 अक्तूबर को मामले की सुनवाई
पीठ ने 20 अक्तूबर को सुनाए गए अपने आदेश में कहा कि तथाकथित मुख्य वकील और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड यहां आएं और यह समझाने की कोशिश करें कि इस तरह की याचिका कैसे दायर की जा सकती है। शीर्ष कोर्ट ने मामले को 31 अक्तूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के नियम क्या हैं?
गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाए गए नियमों के अनुसार, केवल एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoR) के रूप में नामित वकील ही शीर्ष अदालत में किसी पक्ष की पैरवी कर सकते हैं।

गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश ने आतंकवाद से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय की पीठ द्वारा उनके खिलाफ की गई कुछ अपमानजनक टिप्पणियों को हटाने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जज ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत के न्यायाधीश के रूप में फैसला सुनाया था। जिसके खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई के दौरान गुवाहाटी उच्च न्यायालय की पीठ ने कथित अपमानजनक टिप्पणी की। शीर्ष कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है। अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर को होगी।

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here