असम में अनुसूचित जनजाति की मांग कर रही छह जातीय समूह ने रविवार को आगामी विधानसभा से पहले बढ़ी घोषणा करते हुए, चेतावनी दी है। गुवाहाटी में आयोजित मोरान-मटक की संयुक्त बैठक के बाद अमर उजाला से खास बातचीत करते हुए उनके नेताओं ने कहा, आगामी विधानसभा चुनाव (2026) से पहले अगर उनकी मांग का समाधान नहीं हुआ तो वे चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को अपने क्षेत्र में घुसने नहीं देंगे। उन्होंने कहा, 22 नंवबर को वे एक विशाल सभा का आयोजन करेंगे और उसमें आगे की रणनीति पर बनाएंगे। उन्होंने कहा, इस बार हम दोनों पार्टियों को सबक सिखाएंगे। उल्लेखनीय है कि जो जातीय समुदायों के लिए अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग की जा रही है, उनमें कोच राजबोंगशी, ताई अहोम, सूतिया, मटक, मोरान और टी ट्राइब्स शामिल हैं।
कांग्रेस और भाजपा से केवल हमको आश्वासन ही मिलाः स्वरूप
अखिल असम मटक छात्र संस्था के महासचिव स्वरूप गोहाईं ने कहा, असम के मोरान और मटक असली जनजाति हैं। दोनों जातियों का बहुत पुराना इतिहास है। इसलिए हम दोंनो जातियां पिछले करीब सौ वर्षों से असम में अनुसूचित जानजाति की मांग करते हुए आ रहे हैं। हम लगातार इसके लिए आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन आज तक राज्य सरकार हो या फिर केंद्र सरकार, ने इसका समाधान नहीं किया है। आज हम दोनों जातियों ने आज बैठक कर यह फैसला किया है कि अगर 2026 के असम विधानसभा चुनाव से पहले इसका समाधान नहीं हुआ तो हम बड़ा आंदोनल करेंगे। भारतीय संविधान के मुताबिक हमको अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलना चाहिए। इस जायज मांग के लिए हमें इतने वर्षों से संघर्ष करना पड़ रहा है। लेकिन अब बहुत हुआ। पहले कांग्रेस ने और अब भाजपा ने हमको केवल आश्वासन ही दिया। हमें दोनों सरकारों से आश्वासन ही मिला। लेकिन इस बार हम किसी झांसे में आने वाले नही हैं।
सरकार बताएं, दर्जा देंगे या नहींः पोलिंद्र
अखिल मोरान छात्र संस्था के अध्यक्ष पोलिंद्र बरा ने कहा, राज्य सरकार और केंद्र सरकार छह जन जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने को लेकर सदिच्छा नहीं है। मोरान और मटक असम के असली जनजाति हैं। लेकिन उनको अभी अनुसूचित जनजाति का स्टेट्स नहीं मिल रहा है। लेकिन हम संविधान के तहत जो अनुसूचित जनजाति के लिए क्राइटेरिया (अर्हता) हैं, वे पूरा करते हैं। इसके बावजूद हमको संघर्ष करना पड़ रहा है। जो राजनीति हमारे साथ किया जा रहा है, वह बिल्कुल भी ठीक नहीं है। उन्होंने सरकार से सीधे-सीधे पूछा, सरकार बताए कि वे हमें अनुसूचित जनजाती का दर्जा दे रहे हैं या नहीं। उन्होंने कहा, जब तक मांग पूरी हीं होगी, हम लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन करते रहेंगे।
कांग्रेस-भाजपा को सिखाएंगे सबक
स्वरूप गोहाईं और पोलेंद्र बरा ने एक साथ कहा, हमारी भावनाओं के साथ बहुत खेल चुके दोनों राजनीतिक पार्टियां। 2016 विधानसभा चुनाव में हम इस बार दोनों ही दलों को सबक सिखाएंगे। हम याद दिलाएंगे कि उन्होंने 2014 में क्या कहा था। 90 दिनों में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का वायदा किया था। लेकिन आज देखिए, 2024 आ चुका है और हम फिर सड़क पर आंदोलन करने पर मजबूर हैं। दोनों ने कहा, 2026 विधानसभा चुनाव से पहले अगर हमको अनुसूचित जनजाति का स्टेट्स नहीं मिला तो हम हमारे जिलों में, गांवों में और बुथ स्तर पर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं को घुसने नहीं देंगे। हम 2026 विधानसभा चुनाव में सबक सिखाएंगे।