असम में विभिन्न सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों का नाम बदलने के अभियान में जुटी असम सरकार को कामाख्या मंदिर मार्ग के नाम बदलने का फैसले पर आक्रोश झेलना पड़ा है. सोशल मीडिया पर भारी विरोध के बाद सरकार ने फैसले से पीछे हटने का ऐलान किया.
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असम की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने एक नई सड़क का नाम स्वामी मुक्तानंद सरस्वती के नाम पर रखने का निर्णय लिया था. बीजेपी सरकार ने राज्य के सांस्कृतिक इतिहास को दिखाने के लिए कई सड़कों का नाम बदलने की घोषणा की थी. पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री ने कहा था कि असम के इतिहास और गौरव को दर्शाने वाली जगहों और मार्गों का नाम बदलने के लिए जनता से सुझाव मांगे जाएंगे. इसके लिए एक सरकारी पोर्टल भी खुलेगा.
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सरकार ने शहर में नीलांचल पहाड़ी के ऊपर कामाख्या मंदिर की ओर जाने वाली नई वैकल्पिक सड़क का नाम स्वामी मुक्तानंद सरस्वती के नाम पर रखने का प्रस्ताव किया था, जिसका आम लोगों ने सोशल मीडिया पर विरोध जताया. अधिकांश लोगों ने दावा किया कि जिस व्यक्ति के नाम पर सड़क का नामकरण किया जा रहा है उसका असम या उसके लोगों से कोई संबंध नहीं है.
असम के आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री अशोक सिंघल ने शुक्रवार को ट्विटर पर लिखा, पांडु घाट से होकर कामाख्या धाम जाने वाली वैकल्पिक सड़क का नाम ‘स्वामी मुक्तानंद सरस्वती पथ’ रखने के फैसले को जनता की आपत्तियों के कारण तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है.
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हम लोगों की राय का सम्मान करते हैं. इससे पहले गुवाहाटी नगर निगम ने 14 फरवरी को अखबारों में प्रकाशित एक सार्वजनिक नोटिस में कहा गया था कि सड़क के निवासियों ने इसका नाम स्वामी मुक्तानंद सरस्वती रोड रखने का अनुरोध किया है. इसने नोटिस के प्रकाशन के 15 दिनों के भीतर इस संबंध में जनता से राय मांगी गई थी.