बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने पूर्व मंत्री और खनन व्यवसायी गली जनार्दन रेड्डी की अतिरिक्त संपत्तियों को कुर्क करने के लिए सीबीआई को अधिकृत किया है। सरकार का यह आदेश कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश के बाद आया है जिसमें 10 जनवरी को अदालत ने रेड्डी की संपत्तियों को कुर्क करने की सीबीआई को अनुमति देने में देरी पर जानकारी देने के लिए सरकार को दो दिन का समय दिया था।
अदालत ने सरकार से पूछा था कि उसने 19 करोड़ रुपये की संपत्तियों को कुर्क करने की अनुमति क्यों नहीं दी, जबकि उसने पहले 64 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने की मंजूरी दी थी।
दरअसल, सीबीआई ने बेल्लारी अवैध खनन मामले में मुख्य आरोपी के खिलाफ कुर्की की कार्यवाही को मंजूरी देने के लिए कर्नाटक सरकार को अदालत से निर्देश देने की मांग की थी। सीबीआई का अनुरोध अगस्त 2022 से सरकार के समक्ष लंबित है। सीबीआई ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में जनार्दन रेड्डी, उनकी पत्नी और कंपनी के नाम पर अतिरिक्त संपत्तियों का पता लगाया था। सीबीआई 2013 से एक विशेष अदालत के समक्ष लंबित अवैध खनन मामले में उन संपत्तियों को कुर्क करना चाहती है।
केंद्रीय एजेंसी का दावा कि रेड्डी अपनी कंपनियों ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी एंड एसोसिएटेड माइनिंग कंपनी लिमिटेड के माध्यम से अवैध खनन गतिविधियों से प्राप्त धन से प्राप्त संपत्तियों को बेचने की कोशिश कर रहे थे।
गौरतलब है कि अवैध खनन मामले के आरोपी रेड्डी पहले भाजपा में ही थे। उन्होंने पिछले साल 25 दिसंबर को भाजपा में अपनी दो दशक की पारी को विराम देकर एक नई राजनीतिक पार्टी ‘कल्याण राज्य प्रगति पक्ष’ शुरू करने की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि वह कोप्पल जिले के गंगावती से 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पांच सितंबर 2011 को रेड्डी तथा उनके रिश्तेदार बी.वी श्रीनिवास रेड्डी को बेल्लारी से गिरफ्तार किया था। श्रीनिवास रेड्डी ओबलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) के प्रबंध निदेशक हैं। इस कंपनी पर खनन पट्टे के सीमांकन को बदलने तथा बेल्लारी आरक्षित वन क्षेत्र में अवैध खनन करने का आरोप है।