महाराष्ट्र में सियासी घमासान थम नहीं रहा है। दूसरी तरफ भारी बारिश की तरफ से किसान आत्महत्या कर रहा है। भारी बारिश के चलते खरीफ की फसल खराब हो गई। बीते 72 घंटे में ही विदर्भ में 9 किसानों ने खुदकुशी कर ली। स्टेट ऐग्रिकल्चर मिशन के पूर्व चेयरमैन और शिवसेना के प्रवक्ता किशोर तिवारी ने कहा है कि लगातार हो रही बारिश की वजह से किसान परेशान है। किसानों को बैंकों और अन्य कर्जदाताओं की तरफ से भी कोई राहत नहीं मिल रही है।
बीते 72 घंटे में जिन किसानों ने जान दी है उनमें से पांच केवल यावतमल से हैं। यावतमल विदर्भ में बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित है। मरने वाले किसानों की पहचान गणेश आदे (40), लता चाहुले (55), स्वप्निल पाचभाई (32), बृजेश हादे (33),शंकर डांके (70), सागर ढोले (33), सतीश महोद (34), मंगेश सतखेड़े (42), भास्कर परढ़ी (40) के रूप में हुई है।
इन किसानों में से चार ने फांसी लगा ली तो वहीं बाकी पांच ने कीटनाशक खाकर जान दे दी। तिवारी ने कहा कि ज्यातार छोटे किसान थे। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत रबी की फसल बोने के लिए किसानों को कर्ज दिलाना चाहिए। इसके अलावा किसानों के लिए वित्तीय सहायता और कर्ज माफी का ऐलान करना चाहिए। बाढ़ की वजह से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। अब उनके पास अगली फसल बोने के लिए भी पैसे नहीं हैं।
यावतमल के किसान पुंदालिक्राओ रुवारकर ने इसलिए खुदकुशी कर ली क्योंकि उनकी कपास और दाल की फसल तीन बार बर्बाद हो गई। भारी बारिश की वजह से उनकी फसल तबाह हो गई। इसके बाद चौथी बार फसल बोने के लिए उनके पास पैसा नहीं था। गांव की एक विधवा वंदना ने कहा, गांव की स्थानीय कॉर्पोरेटिव क्रेडिट सोसाइटी से फसल बोने के लिए 30 हजार रुपये का कर्ज लिया था लेकिन अब हाल यह है कि अपने बूढ़े सास-ससुर के लिए रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया है। एक फसल बर्बाद हो गई और दूसरी बोने के लिए कहीं से कर्ज भी नहीं मिल रहा है। विदर्भ में अकोला, अमरावती, यावतमल, बुलधाना, वाशिम और वर्धा जिले बाढ़ से ज्यादा प्रभावित हुए हैं। यहां मुख्य रूप से कपास की खेती की जाती है। वर्धा को छोड़कर बाकी अमरावति प्रशासनिक प्रखंड में आते हैं। 2021 में यहां 1064 किसानों ने खुदकुशी की थी। वहीं इस साल यह आंकड़ा और भी आगे जा सकता है। साल 2006 में यहां सबसे ज्यादा 1200 किसानों ने खुदकुशी कर ली थी।