केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस में सुधार कर लाई गई ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) के खिलाफ गुरुवार को देशभर में जिला मुख्यालयों पर आक्रोश मार्च निकाला गया। एनएमओपीएस के बैनर तले निकाले गए मार्च में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों सहित तमाम सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस बहाली की मांग की गई। एनएमओपीएस के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, लाखों सरकारी कर्मचारियों ने मौजूदा पेंशन स्कीम को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है। एनपीएस/यूपीएस से सरकारी कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
विजय बंधु के अनुसार, पूरे देश में निकाले गए आक्रोश मार्च में रेलवे, डिफेंस, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई व पीडब्लूडी कर्मियों समेत कई विभागों के कर्मचारियों ने भाग लिया। जिला मुख्यालयों पर उमड़े कर्मचारियों के जन सैलाब ने बता दिया है कि कर्मचारी, एनपीएस/यूपीएस के प्रति गुस्से में हैं। शिक्षक कर्मचारियों में भी नई पेंशन व्यवस्था को लेकर भारी आक्रोश था। सभी कर्मचारी, एनपीएस व यूपीएस वापस करो के नारे लगा रहे थे। कर्मचारियों ने अर्द्धसैनिक बलों में भी पुरानी पेंशन बहाली की मांग की है। आक्रोश मार्च की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसमें महिलाओं की भारी संख्या में उपस्थिति रही। कई कर्मचारी तो अपने परिवार के साथ आक्रोश मार्च में शामिल हुए।
कर्मचारी नेताओं ने कहा, यह लड़ाई पूरे परिवार की सुरक्षा के लिए है। किसान, मजदूर व दुकानदार के बच्चे सरकारी नौकरियों में आते हैं। निम्न और मध्यम वर्ग का सबसे बड़ा सहारा सरकारी नौकरी है। यही उसकी सामाजिक सुरक्षा का आधार है। केंद्र सरकार, पूंजीपतियों के चक्कर में इस वर्ग के साथ अन्याय कर रही है। कर्मचारियों के साथ छल किया जा रहा है। बंधु ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, उड़ीसा, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना व असम सहित देश के प्रत्येक कोने में आक्रोश मार्च सफल रहा है। इस सफल प्रदर्शन में तमाम केंद्रीय और प्रदेशों के संगठनों सहित रक्षा क्षेत्र व रेलवे के कर्मचारियों की प्रमुख भूमिका रही। उत्तर प्रदेश में अटेवा/एनएमओपीएस के बैनर तले सभी जिला मुख्यालयों पर आक्रोश मार्च निकाला गया। बड़ी संख्या में प्रदेश के शिक्षकों व कर्मचारियों ने तख्तियों पर एनपीएस धोखा है तो यूपीएस महाधोखा है, नो एनपीएस, नो यूपीएस, केवल ओपीएस, के नारे लिखे हुए थे।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने प्रधानमंत्री मोदी और जेसीएम के प्रतिनिधियों की बैठक का बहिष्कार किया था। उन्होंने बताया, एआईडीईएफ एक जनवरी 2004 से लागू हुई सबसे भयावह और अनुचित नई पेंशन योजना ‘एनपीएस’ के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहा है। पिछले 24 वर्षों से केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी, एनपीएस का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। हाल ही में भारत सरकार ने एकीकृत पेंशन योजना के नाम से ‘यूपीएस’ की घोषणा की है, जो एनपीएस का संशोधित संस्करण है। इस अनुचित यूपीएस को सरकार की उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा है। बतौर श्रीकुमार, एक प्रतिबद्ध महासंघ के रूप में एआईडीईएफ अपनी मांग पर अडिग है। पुरानी पेंशन योजना ही एकमात्र ऐसी योजना है, जो सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद सम्मान और शालीनता के साथ जीवन गुजारने की सुरक्षा दे सकती है। ऐसे में अनुचित एनपीएस/यूपीएस योजना के खिलाफ एआईडीईएफ अपना आंदोलन जारी रखेगा।
गांधी जयंती दिवस पर एआईडीईएफ का प्रत्येक सदस्य शपथ लेगा कि मैं, एक रक्षा नागरिक कर्मचारी, विनाशकारी एनपीएस और यूपीएस अंशदायी पेंशन योजना से मुक्त होने के लिए सभी संघर्षों और आंदोलनों में शामिल होने के लिए प्रतिबद्ध हूं। मैं सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत गैर अंशदायी पेंशन प्राप्त करने के लिए सभी ट्रेड यूनियन एक्शन कार्यक्रमों का भी समर्थन करता हूं और उनमें भाग लूंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि जब तक मैं गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना हासिल नहीं कर लेता, तब तक चैन से नहीं बैठूंगा और हम सभी सरकारी कर्मचारियों की इस असल और उचित मांग को वास्तविकता में बदलने के लिए एक हैं। इस बाबत दूसरे संगठनों से भी चर्चा जारी है।