कर्नाटक के पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी को आखिरकार कानून के शिकंजे में आना पड़ा है। ओबुलापुरम अवैध खनन मामले में एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को रेड्डी और तीन अन्य दोषियों को 7-7 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट के इस फैसले के बाद सीबीआई की टीम ने तुरंत रेड्डी और अन्य दोषियों को हिरासत में ले लिया।
यह मामला करीब एक दशक पुराना है, जिसमें रेड्डी और उनके सहयोगियों पर आरोप था कि उन्होंने खनन नियमों का उल्लंघन करते हुए अवैध खनन किया। इस प्रक्रिया में उन्होंने सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया।
ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (OMC) से जुड़े इस घोटाले में आरोप था कि रेड्डी और उनकी कंपनी ने आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की सीमा पर स्थित खनिज समृद्ध क्षेत्रों में बिना वैध अनुमति के बड़े पैमाने पर लौह अयस्क का खनन किया। मामले में जांच एजेंसी ने रेड्डी और अन्य पर धोखाधड़ी, सरकारी संपत्ति की चोरी और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगाए थे।
विशेष सीबीआई अदालत ने इस केस में पर्याप्त सबूत और गवाहों के बयानों के आधार पर रेड्डी और तीन अन्य को दोषी करार दिया और सात साल की कठोर सजा सुनाई। साथ ही उन पर वित्तीय जुर्माना भी लगाया गया है।
गली जनार्दन रेड्डी राज्य की राजनीति में एक कद्दावर और विवादास्पद चेहरा रहे हैं। एक समय वह भाजपा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इस सजा को उनके राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

