किसानों का “भारत बंद”, सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाया गया “भारत बंद” पूरी तरह से कामयाब रहा. तीन विवादित कृषि कानूनों पर पिछले 10 महीनों से आंदोलनरत किसानों ने दिखा दिया कि आने वाले विधान सभा चुनावों विशेषकर यूपी में भाजपा को बड़ी परेशानी हो सकती है.
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भारत बंद का पंजाब से लेकर केरल तक असर देखने को मिला, किसान सुबह 6 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक देशभर के कई महत्वपूर्ण हाईवे और रेल की पटरियों को जाम कर प्रदर्शन करते नज़र आए.
भारत बंद का सबसे ज़्यादा असर पंजाब, हरियाणा में देखने को मिला. किसानों ने पंजाब और हरियाणा के लगभग सभी बड़े हाईवे और रेल की पटरियों को बंद कर दिया. सुबह ही किसानों ने हरियाणा को दिल्ली से जोड़ने वाले कोंडली मानेसर एक्सप्रेसवे और पलवल को जोड़ने वाली सड़क बंद कर दी. भारत बंद में महिला किसानों की भी ज़बरदस्त भागीदारी देखने को मिली. भारत बंद की वजह से चंडीगढ़ शताब्दी समेत लगभग 15 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया.
किसानों ने सुबह 6 बजते ही दिल्ली के ग़ाज़ीपुर सीमा पर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे बंद कर दिया जिसे शाम 4 बजे के करीब खोल दिया गया.
दक्षिण भारत के राज्यों में भी भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिला. ख़ासकर केरल में सभी बाज़ार बंद नज़र आए क्योंकि वहां के सभी राजनीतिक दलों ने बंद का समर्थन किया था.
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी बंद का व्यापक असर देखने को मिला. ग़ाज़ियाबाद के मुरादनगर के पास दुहाई में किसानों ने मेरठ और दिल्ली जाने वाला रास्ता बंद कर दिया जिसके चलते मुसाफिरों को समस्या का सामना करना पड़ा.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार बातचीत का समय और जगह बताये, किसान बिना शर्त बातचीत के लिए तैयार हैं.
किसानों के कृषि कानूनों के खिलाफ भारत बंद के दौरान दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में लोग भारी जाम देखा गया. दिल्ली गुरुग्राम बॉर्डर पर कारों की लंबी कतारें सुबह के वक्त ही लग गईं. कई घंटों बाद भी लोग वाहनों के भीतर ही फंसे रहे. गाजीपुर बॉर्डर, केएमपी, दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे को भी किसानों ने जाम कर दिया. इससे दिल्ली और नोएडा गाजियाबाद को जोड़ने वाले एनएच-9 और एनएच-24 पर भी भारी जाम लग गया. हालांकि अब किसानों ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को खोल दिया है.
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दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर कारों का लंबा रेला रेंगता नजर आया. किसानों ने कुंडली मानेसर एक्सप्रेसवे को भी बाधित कर रखा है. गाजीपुर बॉर्डर पर भी यातायात बंद होने से नोएडा गाजियाबाद से दिल्ली जाने वाले लोग प्रभावित हुए. वहीं हरियाणा के बहादुरगढ़ में रेलवे स्टेशन पर भी किसान रेल ट्रैक पर बैठ गए, जिससे रेलों की आवाजाही पर असर पड़ा.
बंद के दौरान सिंघू बार्डर पर एक 54 साल के किसान भोगलराम की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. अब तक इस आंदोलन में लगभग 700 किसानों की मौत हो चुकी है. लेकिन अब भी कोई सामाधान निकलता नज़र नहीं आ रहा. किसानों का कहना है कि अब वो चुनाव राज्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी को वोट की चोट देंगे.