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Sunday, July 7, 2024

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केंद्रीय बलों में ठगों की सेंध, अफसर बनकर जवानों को कर रहे फोन, डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए मांग रहे पैसा

केंद्रीय सुरक्षा बलों पर ठगों की नजर पड़ गई है। वे ठगी के नए-नए तरीके आजमा रहे हैं। उन्होंने विभिन्न सुरक्षा बलों में यह पता लगाया है कि किस अफसर का कौन सा रैंक है। वे कमांडेंट, टूआईसी, डिप्टी कमांडेंट और सहायक कमांडेंट के नाम से जवानों को फोन करते हैं। चूंकि इन बलों का आधार ‘अनुशासन’ होता है, ऐसे में बहुत से जवान अपने सीनियर अधिकारी के नाम की पुष्टि करने की जहमत कम ही उठाते हैं। नतीजा, वे ठगों का शिकार हो जाते हैं। हाल ही में एक केंद्रीय बल की सी/43 यूनिट में ठग ने एक जवान को फंसाने का प्रयास किया, लेकिन वह बच गया। ठगों द्वारा डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए पैसा मांगा जाता है। 

सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में साइबर अपराध, ऑनलाइन ठगी और डिजिटल प्लेटफार्म पर पैसा मांगना, जैसे मामले सामने आ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय और संबंधित अर्धसैनिक बलों द्वारा साइबर एवं वित्तीय फ्रॉड को लेकर जवानों व अफसरों को लगातार सचेत किया जा रहा है। इन बलों के सेक्टर, यूनिट और बटालियनों पर साइबर धोखाधड़ी व उसके तरीकों के बारे में बताया जाता है। इसके बावजूद कई जवान, साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। पैसे ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल हो रहे विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्म पर अब साइबर अपराधियों की नजर पड़ गई है। केंद्रीय सुरक्षा बलों में पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। जवानों के मोबाइल फोन के जरिए फ्रॉड की वारदात को अंजाम दिया जाता है। ठगी का ताजा मामला देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सीआरपीएफ की सी/43 यूनिट में देखने को मिला है। 

ठग जवान के मोबाइल पर फोन करता है। उनकी बातचीत के ऑडियो के मुताबिक, अफसर बनकर वह ठग, जवान से कहता है, आप अपना व्हाट्सएप खोलिये। क्या आपने व्हाट्सएप ओपन कर लिया है। जवान पूछता है, उसका क्या करना है सर। तुम लाइन पर रहो। गूगल पे, यूज करते हो। नहीं सर, पेटीएम है मेरे पास। देखो तुम्हें कुछ भेजा है। हां सर आया है। इसमें जयप्रकाश पासवान लिखा है। वह 25 हजार रुपये की पेमेंट किए है। ठग कहता है कि तुम अपना पेटीएम ऑन करो। जवान, मुश्किल से यह पूछने का साहस जुटाता है कि आपका नाम क्या है। आप कौन बोल रहे हैं। वो छोड़िये, आप इस नंबर पर पैसे भेज दें। जवान ने फिर पूछा, साहब, आप कौन बोल रहे हैं।

आप सुभाष साहब तो नहीं हैं। ठग बोला, मैडम ने डाली है पेमेंट। मैं सुधीर साहब हूं। जवान कहता है, सर आप पहले तो बोले थे, हम सुभाष मीणा साहब हैं। अब कह रहे हैं सुधीर साहब हैं। इसके बाद जवान को कुछ शक होने लगता है। वह कहता है कि मैं कंपनी में फोन लगाकर मैडम से पूछ लेता हूं। मीणा साहब से पूछ लेता हूं। अरे तुम वो छोड़ो। कोई अस्पताल में भर्ती है, इमरजेंसी है। तुम नंबर लगाओ और पेटीएम करो। फोन बाद में कर लेना। सर, आप ऐसा बोल रहे हैं। अच्छा तुम देखो कि पेटीएम पर क्या नंबर आ रहा है। जवान कहता है, नहीं साहब, मैं मैडम से बात कर लेता हूं। उसके बाद ही कुछ कर सकूंगा। इस तरह से वह जवान, ठगी का शिकार होने से बच गया। 

कुछ समय पहले ही सीआरपीएफ की 187 बटालियन के एक सहायक उपनिरीक्षक ‘एएसआई’/जीडी राज कुमार को किसी व्यक्ति ने कमांडेंट बन कर फोन किया था। उसने कहा, मैने आपके खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए हैं। एएसआई को शक न हो, इसलिए पेमेंट ट्रांसफर का स्क्रीन शॉट भी भेज दिया। उसके बाद फोन कर कहा, इस नंबर पर तुरंत पैसे वापस कर दो। पैसे वापस भेजने के कई प्रयास किए गए, लेकिन तकनीकी खामी के चलते पैसे नहीं भेजे जा सके। एएसआई ने यह सोचकर कि साहब डाटेंगे तो उन्होंने अपनी बटालियन में फोन कर सारी बात बताई। वहां से पता चला कि कमांडेंट साहब ने कोई फोन नहीं किया। ये फ्रॉड का मामला है।

समय रहते जवान, ठगी से बच गया 
पिछले दिनों सशस्त्र सीमा बल ‘एसएसबी’ की ‘सी’ कंपनी, 32वीं वाहिनी में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। एसएसबी निरीक्षक, उपेंद्र कुमार मिश्र को 15 लाख नब्बे हजार रुपये की चपत लग गई। उसने ‘एक्सक्लूसिव एप’ में ट्रेडिंग के लिए उक्त राशि लगाई थी। उसे बताया गया कि उसकी राशि 55 लाख रुपये हो गई है। कुछ दिन बाद जब उसने 30 लाख रुपये निकालने चाहे तो वह नहीं निकल सके। बाद में उसने साइबर धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करा दी। सीआरपीएफ की 48वीं बटालियन के एसआई (जीडी) रतन चंद के खाते से ऑनलाइन ठगों ने 297615 रुपये निकाल लिए थे। ठगों ने उन्हें अपने जाल में फंसाकर पहले उनसे इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से पांच रुपये के सर्विस चार्ज का भुगतान कराया। इसके बाद उनके खाते से 297615 रुपये निकल गए। 

ऑनलाइन ठगों द्वारा जवानों के खातों से जो राशि गायब की जाती है, उसकी वापसी की बहुत लंबी प्रक्रिया है। अधिकांश मामलों की फाइल इधर-उधर होती रहती है, लेकिन पीड़ित जवानों को उनकी राशि वापस नहीं मिलती। जवानों की मांग है कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए मुख्यालय की तरफ से संबंधित विभाग या एजेंसी के साथ मिलकर प्रयास किए जाएं। केंद्रीय बलों की सभी यूनिटों से कहा गया है कि वे इस तरह की घटनाओं को लेकर जवानों को सतर्क करते रहें। किसी भी जवान के पास ऐसी फेक कॉल आ सकती है। ऐसे में वे अलर्ट रहें। बटालियन नियंत्रण कक्ष को फौरन सूचित करें। कंपनी कमांडर, जवानों को ब्रीफ करें। कोई भी ठग, आपकी ही बटालियन का ऑफिसर बनकर पैसा मांग सकता है, इसलिए कंफर्म किए बिना किसी से कोई लेनदेन न करें।

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