राजस्थान की रार में मुख्या किरदार निभाने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन की रिपोर्ट में तकनीकी आधार पर क्लीन चिट दी गई है। गहलोत के खिलाफ उनके समर्थन में 92 विधायकों के विद्रोह के संबंध में किसी तरह की कार्रवाई की बात नहीं है। हालांकि विद्रोह के लिए कांग्रेस के तीन विधायकों एक्शन लेने की बात कही गई है। ये तीनों विधायक अशोक गहलोत खेमे के हैं।
रिपोर्ट में मुख्य सचेतक महेश जोशी, आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र पाठक और शांति धारीवाल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सलाह दी गई है, जिन्होंने विधायकों की समानांतर बैठक की मेजबानी की, जहां उन्होंने अगले मुख्यमंत्री पर एक प्रस्ताव पारित किया।
बैठक में विधायकों ने 2020 में सचिन पायलट के विद्रोह का मुद्दा उठाया था और एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें कहा गया था कि मुख्यमंत्री को उस समय सरकार का समर्थन करने वालों में से चुना जाना चाहिए।
बाद में, 92 विधायक श्री गहलोत के उत्तराधिकारी को चुनने के लिए विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए। इन विधायकों ने पायलट को शीर्ष पद से बाहर रखने के लिए सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी।
सूत्रों ने बताया कि पर्यवेक्षकों की इस रिपोर्ट में मुख्यमंत्री गहलोत का सीधे तौर पर कोई हवाला नहीं दिया गया है। सोनिया गांधी ने सोमवार को दोनों पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से लिखित रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था।
जयपुर में विधायक दल की बैठक नहीं हो पाने और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों के वस्तुत: बागी रुख अपनाने के बाद खड़गे और माकन सोमवार को दिल्ली लौटे थे तथा कांग्रेस अध्यक्ष के आवास 10 जनपथ पहुंचकर सोनिया गांधी से मुलाकात की थी।
कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल भी बैठक में मौजूद थे। सोनिया गांधी के साथ डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली मुलाकात के बाद माकन ने कहा था कि जयपुर में रविवार शाम विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति से बुलाई गई थी।
माकन ने संवाददाताओं से यह भी कहा था, ‘‘मैंने और खड़गे जी ने राजस्थान के घटनाक्रमों के बारे में सोनिया जी को विस्तार से बताया। कांग्रेस अध्यक्ष ने हमसे पूरे घटनाक्रम पर लिखित रिपोर्ट मांगी है। आज रात या कल सुबह तक हम यह रिपोर्ट दे देंगे।’’