26 C
Mumbai
Friday, November 22, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

घातक वायरस ‘मारबर्ग’ का न कोई इलाज, न कोई दवा

कोरोना वायरस महामारी के बीच अफ्रीकी देश गिनी में मारबर्ग वायरस संक्रमण का एक मामला सामने आया है। पश्चिम अफ्रीका के किसी देश में इस घातक वायरस का ये पहला मामला है। बताया जा रहा है कि ये वायरस इबोला से संबंधित है, जो चमगादड़ों में पाया जाता है। यह कोविड-19 की ही तरह जानवरों से इंसानों में फैला है।

निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें

रिपोर्ट के अनुसार, एक मरीज की दो अगस्त को दक्षिणी ग्वेकेडाउ प्रांत में मौत हो गई थी। शख्स में 25 जुलाई को संक्रमण के लक्षण दिखने लगे थे। इसके बाद उसका एक स्थानीय क्लीनिक में मलेरिया के लिए इलाज किया गया था। हालांकि उसकी मौत हो गई। उसी के नमूने में ये वायरस पाया गया है।

अफ्रीका के WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर मात्सीदिसो मोएटी ने मामला सामने आने के बाद कहा, ‘मारबर्ग वायरस में दूर तक फैलने की क्षमता है। ऐसे में इसे हमें बीच में रोकने की जरूरत है।’

बहरहाल मामला सामने आने के बाद तमाम जांच और शुरू कर दिए गए हैं ताकि कोई और केस आने पर जल्द से जल्द उसकी पहचान की जा सके। साथ ही मरीज के परिवार के लोगों और उसके संपर्क में आए स्वास्थ्यकर्मियों के स्वास्थ्य पर भी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा इस बात का भी पता लगाने की कोशिश जारी है कि शख्स को संक्रमण कैसे और कहां से हुआ।

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

मारबर्ग वायरस आमतौर पर रौसेटस चमगादड़ों के रहने के स्थान जैसे गुफाओं या माइंस के संपर्क से जुड़ा होता है। WHO के मुताबिक इंसानों के एक बार संक्रमित होने के बाद ये वायरस मरीज के शरीर के तरल पदार्थ सहित संक्रमण की जद में आए सतहों और अन्य दूसरी चीजों के संपर्क में आने से फैल सकता है।

WHO के अनुसार ये वायरस ये बेहद जानलेवा है और इससे मृत्यु दर 88 प्रतिशत तक है। इस वायरस से संक्रमित होने पर पूर्व में मृत्यु दर 24 से 88 प्रतिशत तक होने की बात सामने आई है। इस बीमारी के लिए कोई तय एंटीवायरस दवा या वैक्सीन भी अभी उपलब्ध नहीं है। हालांकि कुछ मामलों में और इलाज से मरीजों की जान बच भी जाती है।

मारबर्ग वायरस से जुड़े तथ्य

  • मारबर्ग वायरस रोग (एमवीडी) को Marburg haemorrhagic fever भी कहा जाता है,जो मनुष्यों में होने वाली एक गंभीर बीमारी है।
  • वायरस मनुष्यों में गंभीर वायरल रक्तस्रावी बुखार का कारण बनता है।
  • औसत एमवीडी मामले में मृत्यु दर लगभग 50% है। कई मामलों में इससे मृत्यु दर 88% तक पहुंच चुकी है।
  • हाइड्रेशन रहने के साथ उचित देखभाल और बेहतर उपचार जीवित रहने में सुधार करता है।
  • वायरस को बेअसर करने के लिए अभी तक कोई लाइसेंस प्राप्त उपचार सिद्ध नहीं हुआ है।
  • रूसेटस इजिपियाकस, पटरोपोडिडे परिवार के फ्रूट बैट मारबर्ग वायरस के प्राकृतिक मेजबान माने जाते हैं।
  • मारबर्ग वायरस फ्रूट बैट से लोगों में फैलता है और मानव-से-मानव संचरण के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है।

‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

मारबर्ग वायरस रोग के लक्षण
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, इसके लक्षण 2 से 21 दिनों के बीच नजर आ सकते हैं। मारबर्ग वायरस के कारण होने वाली बीमारी तेज बुखार, तेज सिरदर्द और गंभीर अस्वस्थता के साथ अचानक शुरू हो जाती है।

मांसपेशियों में दर्द इसकी एक आम विशेषता है। तीसरे दिन गंभीर पानी जैसा दस्त, पेट में दर्द और ऐंठन, मतली और उल्टी शुरू हो सकती है। दस्त एक सप्ताह तक बना रह सकता है। इसके अलावा मरीज सुस्ती और आंखों का कमजोर होना जैसे लक्षण महसूस कर सकता है।

मारबर्ग वायरस रोग का उपचार और टीके
वर्तमान में एमवीडी के लिए कोई टीके या एंटीवायरल उपचार नहीं हैं। हालांकि हाइड्रेशन रहने के साथ उचित देखभाल और बेहतर उपचार जीवित रहने में सुधार करता है।

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here