मराठा आरक्षण की मांग करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि छगन भुजबल विभिन्न समुदायों के बीच दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी रैली में उत्तेजक भाषा का इस्तेमाल किया है। रैली के दौरान उनकी भाषा राज्य सरकार की नीति को दर्शाती है।
बता दें जरांगे और भुजबल के बीच तीखी जुबानी जंग चल रही है। छगन भुजबल ने मराठों को कुनबी के रूप में पहचान कर उन्हें ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की जरांगे की मांग का विरोध किया था।
जरांगे ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, भुजबल समाज में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। हम लोगों से सिर्फ शांति की अपील कर रहे हैं। उनके लोग हाथ पैर तोड़ने की बात कर रहे हैं। क्या राज्य सरकार की यही नीति है। वे सिर्फ विभिन्न समुदायों के बीच दरारें पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। जरांगे ने कहा, मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति प्रणाम पत्र दिया जाए। राजनीतिक दलों पर हमला करते हुए जरांगे ने कहा कि कई राजनीतिक दलों ने महाराष्ट्र पर शासन किया है, लेकिन मराठा समुदाय के लोगों के बारे में किसी ने नहीं सोचा।
वहीं राज्य विधान परिषद के उपाध्यक्ष नीलम गोरे ने मंगलवार को कहा कि मराठा आरक्षण मुद्दे पर महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान चर्चा की जाएगी। बता दें सात दिसंबर से शुरू होने वाले सत्र की तैयारियों की समीक्षा पर नीलम गोर पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं। उन्होंने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मुद्दा शीतकालीन सत्र के दौरान उठेगा। लेकिन जब तक सभी कामकाज और अन्य प्रक्रियाओं को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, मैं तारीख की घोषणा नहीं कर सकती हूं।